उर्स-ए-हामिदी के दूसरे दिन हामिद मियां के कुल की रस्म हुई अदा
▪️मुल्क व मज़हब से मोहब्बत की तालीम को आम करें छात्र:मुफ्ती सलीम ▪️देश मे आपसी सौहार्द को बढ़ावा देकर नफ़रत के खात्मे के लिए हमेशा आगे रहें-मुफ्ती सलीम
बरेली । उर्स-ए-हामिदी के आज दूसरे दिन हुज्जातुल इस्लाम मुफ़्ती हामिद रज़ा खान साहब (हामिद मियां) के कुल शरीफ की रस्म मुल्क भर से आये हज़ारों अकीदतमंदों की मौजूदगी में अदा की गयी। दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मिया) की सदारत में देश के नामवर उलेमा की तक़रीर हुई। मदरसा मंज़र-ए-इस्लाम का दीक्षांत समारोह (दस्तारबंदी) मनाया गया। फारिग सभी 168 तलबा (छात्रों) को हज़रत सुब्हानी मियां व मुफ़्ती अहसन मियां के हाथों डिग्रियां सौपकर दस्तारबंदी की गई। देर रात तक जश्न जारी था।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि आज का आगाज़ बाद नमाज़-ए-फ़ज़्र कुरानख्वानी से हुआ। दिन में नात मनकबत का दौर जारी रहा। शाम को फ़ारूक़ मदनपुरी,हाजी गुलाम सुब्हानी व आसिम नूरी ने नाते पाक का नज़राना पेश किया। मुख्य कार्यक्रम बाद नमाज़-ए-ईशा 9 बजे मदरसे के सदर मुफ़्ती आकिल रज़वी,वरिष्ठ मुफ़्ती मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी,मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम,मुफ़्ती अय्यूब,मुफ़्ती मोइनुद्दीन,मुफ़्ती सय्यद कफील हाशमी,कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी,मौलाना अख्तर हुसैन,मौलाना डॉक्टर एजाज़ अंजुम,मुफ़्ती जमील,मुफ़्ती अनवर अली की मौजूदगी में देश भर से आये नामवर उलेमा की तक़रीर का सिलसिला शुरू हुआ।
मुफ़्ती सलीम नूरी बरेलवी ने खिताब करते हुए सभी फारिग उलेमा से कहा कि वह अपने मज़हब के साथ अपने मुल्क से मोहब्बत करने की तालीम को देश भर में आम करने का काम करें। जो अपने मज़हब का सच्चा वफ़ादार है वही अपने मुल्क का वफादार है। अब आप लोगो के कंधों पर कौम की सही रहनुमाई करने की अहम ज़िम्मेदारी आ गयी है। देश मे आपसी सौहार्द को बढ़ावा देकर नफ़रत का खात्मा करने के लिए आप सब को हमेशा आगे रहना होगा।
मुफ़्ती आकिल रज़वी ने कहा कि आप इल्मी मकाम के मुमताज़ थे कि इल्म भी सोचता था किस जात के पास आया है। आप अरबी फन के अंदर अदब में इस कदर माहिर थे कि अरब के बड़े बड़े उलेमा कहते थे कि हिन्द के जितने उलेमा अरबी के जानकार है उनमें हमने हामिद रज़ा से बढ़कर न देखा। मुफ़्ती अय्यूब खान ने खिराज़ पेश करते हुए कहा कि हुज्जातुल इस्लाम ने अपनी पूरी ज़िंदगी इल्मी खिदमात,फतावा नवेशी में गुजारी। साथ ही आप बहुत बड़े शायर भी थे।
अल्लामा मुख्तार बहेडवी ने कहा कि आला हज़रत फरमाते थे कि मैं हामिद से हूँ और हामिद मुझसे। मुफ़्ती आसिफ रज़ा (मॉरीशस),अल्लामा नसीरुद्दीन व अल्लामा फूल नेमत रज़वी(नेपाल),मौलाना हसानुदीन(कश्मीर),मौलाना अरशद रज़ा(बिहार),मौलाना मोहसिन रज़ा(गुजरात),मौलाना मोईनुद्दीन(रजिस्थान),मुफ़्ती ताजुद्दीन(आसाम) आदि ने भी खिताब किया। रात 10 बजकर 35 मिनट पर मुफ़्ती हज़रत हामिद मियां के 82 वे कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। मुल्क व मिल्लत की खुशहाली के लिए ख़ुसूसी दुआ सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने की।
कल रात हुए तहरीरी,तक़रीरी व शेरी मुकाबले में विजेताओं को इनाम तक़सीम (वितरित) किये गए। इसके बाद दीक्षांत समारोह का जश्न शुरू हुआ। 17 मुफ़्ती,48 कारी,09 हाफिज व 94 आलिम को डिग्री सौपी गयी। निज़ामत (संचालन) मौलाना शोएब इलाहाबादी ने किया।
उर्स की व्यवस्था में मुख्य रूप से टीटीएस के शाहिद नूरी,अजमल नूरी,परवेज़ नूरी,हाजी जावेद खान,औररंगज़ेब नूरी,ताहिर अल्वी,मंज़ूर रज़ा,खलील क़ादरी,आसिफ रज़ा,आलेनबी,गौहर खान,हाजी शारिक नूरी,मुजाहिद बेग,अश्मीर रज़ा,इशरत नूरी,ज़ोहेब रज़ा,तारिक सईद,शान रज़ा,सबलू अल्वी,अब्दुल माजिद,सय्यद एजाज़,सय्यद माजिद,इरशाद रज़ा,अरबाज़ रज़ा,साजिद नूरी,नईम नूरी,अयान हुसैन,आसिफ नूरी,साकिब रज़ा,समी खान,अजमल रज़ा, मोहसिन रज़ा, सुहैल रज़ा,साद रज़ा,नफीस खान,शारिक बरकाती,हाजी अब्बास नूरी,काशिफ सुब्हानी आदि ने संभाली।