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लखनऊ: सस्पेंड IAS अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें बढ़ीं, ED जांच का खतरा

लखनऊ : सस्पेंड आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिरे इस 2006 बैच के आईएएस अधिकारी के खिलाफ अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का खतरा मंडरा रहा है। विजिलेंस ने भी उनकी संपत्ति और पुराने निवेश दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है। दूसरी ओर, उनके कथित सहयोगी निकांत जैन के ऑफिस को पुलिस ने सील कर दिया है। यह कार्रवाई तब शुरू हुई जब एक उद्यमी से सोलर प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए 5% कमीशन मांगने के आरोप में निकांत जैन को गिरफ्तार किया गया। इस मामले ने उत्तर प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।

विजिलेंस और ईडी की नजर में सस्पेंड IAS अभिषेक प्रकाश

सूत्रों के मुताबिक, अभिषेक प्रकाश के खिलाफ विजिलेंस ने अपनी जांच तेज कर दी है। उनकी संपत्ति, आय के स्रोत और पुराने निवेश दस्तावेजों की पड़ताल शुरू हो गई है। इसके साथ ही, प्रवर्तन निदेशालय भी इस मामले में शामिल हो सकता है, क्योंकि आरोपों में धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) की आशंका जताई जा रही है। अभिषेक प्रकाश, जो इन्वेस्ट यूपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रह चुके हैं, पर आरोप है कि उन्होंने उद्यमियों से प्रोजेक्ट स्वीकृति के लिए अवैध रूप से धन की मांग की। विजिलेंस अब यह पता लगाने में जुटी है कि क्या उनकी संपत्ति उनकी घोषित आय से अधिक है और क्या इसमें भ्रष्टाचार से अर्जित धन का इस्तेमाल हुआ है।

निकांत जैन का ऑफिस सील, गिरफ्तारी के बाद हड़कंप

पुलिस ने अभिषेक प्रकाश के कथित मध्यस्थ निकांत जैन के गोमती नगर स्थित ऑफिस को सील कर दिया है। निकांत जैन को 20 मार्च 2025 को लखनऊ पुलिस ने हुसड़िया चौराहे के पास से गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने सौर ऊर्जा कंपनी SAEL सोलर P6 प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि विश्वजीत दत्त से प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए 5% कमीशन की मांग की थी। FIR के अनुसार, निकांत ने यह मांग अभिषेक प्रकाश के कहने पर की थी। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उनके ऑफिस से दस्तावेज जब्त किए हैं और वहां से मिली जानकारी के आधार पर आगे की जांच चल रही है।

अभिषेक के संपर्क में आने के बाद निकांत की ग्रोथ पर सवाल

निकांत जैन की गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसियां इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि अभिषेक प्रकाश के संपर्क में आने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में कितना बदलाव आया। सूत्रों का कहना है कि निकांत जैन, जो मूल रूप से मेरठ के रहने वाले हैं, ने पिछले कुछ वर्षों में गोमती नगर में लग्जरी बंगला और अन्य संपत्तियां अर्जित की हैं। पुलिस और विजिलेंस यह जांच कर रही हैं कि क्या इन संपत्तियों का संबंध अभिषेक प्रकाश से मिले कथित अवैध धन से है। निकांत के खिलाफ मेरठ, लखनऊ और एटा में पहले से धोखाधड़ी और वित्तीय अपराधों के मामले दर्ज हैं, जिससे उनकी गतिविधियों पर और सवाल उठ रहे हैं।

पुराने निवेश दस्तावेजों की जांच शुरू

अभिषेक प्रकाश के पुराने निवेश दस्तावेजों को भी जांच के दायरे में लाया गया है। विजिलेंस और पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या अभिषेक ने अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध निवेश किया। इसमें उनकी तैनाती के दौरान विभिन्न जिलों जैसे लखनऊ, लखीमपुर खीरी, अलीगढ़ और हमीरपुर में अर्जित संपत्तियों का ब्योरा जुटाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, अभिषेक पर लखनऊ में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसमें फर्जी दस्तावेजों और मुआवजा राशि के गबन का मामला सामने आया था। इन सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है।

निवेश प्रस्तावों और समिति के फैसलों की फाइलें तलब

इस मामले में इन्वेस्ट यूपी के तहत आने वाले निवेश प्रस्तावों और मूल्यांकन समिति के फैसलों की पत्रावलियां भी तलब की गई हैं। जांच में यह देखा जा रहा है कि अभिषेक प्रकाश ने किन-किन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देने में अनियमितता बरती। SAEL सोलर के मामले में जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मूल्यांकन समिति ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी थी, लेकिन अभिषेक ने बिना कारण बताए इसे दोबारा समीक्षा के लिए भेज दिया था। इससे संदेह पैदा हुआ कि यह कदम कमीशन न मिलने के कारण उठाया गया था। अब अन्य प्रोजेक्ट्स के दस्तावेजों की भी स्क्रूटनी होगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि ऐसी अनियमितताएं कितने मामलों में हुईं।

सरकार की सख्ती, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को दोहराते हुए कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। अभिषेक प्रकाश को निलंबित करने के साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि उद्यमियों के वैध प्रोजेक्ट्स को किसी भी तरह की बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस घटनाक्रम ने प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही जा रही है।

लखनऊ में यह मामला अब जांच एजेंसियों के लिए एक बड़ा टेस्ट साबित हो रहा है, जिसके नतीजे अभिषेक प्रकाश के करियर और राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को नई दिशा दे सकते हैं।

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