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रबर फैक्ट्री की जमीन के मालिकाना हक को लेकर यूपी सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल किया अपना हलफनामा

रिपोर्ट - डॉ.मुदित प्रताप सिंह

बरेली : फतेहगंज पश्चिमी रबड़ फैक्ट्री की जमीन के मालिकाना हक को लेकर यूपी सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है। जिला प्रशासन बरेली ने मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी एक रिपोर्ट में जमीन वापसी को लेकर राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता से लगातार संपर्क में रहकर प्रभावी कार्यवाही और मजबूत पक्ष रखने की जानकारी दी है।

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फतेहगंज पश्चिमी के भाजपा नेता युवा अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महा सम्मेलन के जिला अध्यक्ष आशीष अग्रवाल ने दिसंबर माह में लखनऊ में मुख्यमंत्री को संबोधित एक प्रार्थना पत्र दिया था जिस पर मुख्य्मंत्री के विशेष सचिव एन के एस चौहान ने जिलाधिकारी बरेली से रबर फैक्ट्री की जमीन वापसी प्रकरण में वैधानिक तथात्मक आख्या मांगी थी जिस पर अपर जिलाधिकारी राजस्व संतोष सिंह ने जिला प्रशासन की ओर से मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी रिपोर्ट में साफ कहा है कि 1960 में सिंथेटिक्स कैमिकल की स्थापना हेतु राज्य सरकार ने एल ए एक्ट की धारा 41 के अंतर्गत 1380.23 एकड़ भूमि अधिग्रहण कर 29 अप्रैल 1961 में 309554 रुपए में सशर्त उपलब्ध कराई थी।

वर्ष 1999 में रबर फैक्ट्री बंद होने के बाद विभिन्न बैंकों वित्तीय संस्थानों की देनदारियों को अल्केमिस्ट रिकंट्रक्शन कम्पनी ने टेक ओवर कर लिया और वर्ष 2018 में वसूली हेतु नीलामी प्रक्रिया शुरू की जो जिसे सरकार ने संज्ञान लिया। अल्केमिस्ट ने राज्य सरकार को पक्षकार बनाए बिना ही बॉम्बे हाईकोर्ट से आदेश प्राप्त कर लिया।

राज्य सरकार ने वर्ष 2000 में सरकार के नामित एडिशनल सालिस्टर जनरल भारत सरकार अनिल सिंह और अधिवक्ता रमेश दुबे के माध्यम बांबे हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा। जिस पर 20 दिसंबर 2023 को सरफेसी एक्ट 2002 के अंतर्गत अल्केमिस्ट के पक्ष में जारी 2020 के आदेश को हाईकोर्ट ने रिकाल कर लिया। और राज्य सरकार को तीन सप्ताह में अपना पक्ष रखने का समय दिया था जिसे दाखिल कर दिया गया है।

भाजपा नेता आशीष अग्रवाल के अनुसार अल्केमिस्ट के दावे को खारिज होने के बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट सरकार की दलीलें सुनकर किसी भी दिन राज्य सरकार के हक में फैसला सुना सकता है।रबर फैक्ट्री की जमीन सरकार को वापस मिलने पर जल्द ही औद्योगिक हब बनने का रास्ता खुल जाएगा और बरेली जिले को फिर से एक नई पहचान मिलेगी। इसके लिए लगातार प्रदेश व केंद्र सरकार के मंत्रियों तक लगातार जमीन वापसी मुद्दे को उठाया जा रहा है।

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