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मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी का हक फिल्म पर बयान: “मुस्लिम महिलाओं को देखने की सलाह नहीं दूंगा”

बरेली। आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म “हक” पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि आजकल फिल्म इंडस्ट्री में ऐसी फिल्में बन रही हैं जिनमें हिंदू-मुस्लिम ऐंगल को बढ़ावा देने की कोशिश की जाती है। हक फिल्म भी इसी प्रवृत्ति का हिस्सा है। मौलाना रजवी ने इस फिल्म को लेकर अपनी व्यक्तिगत राय और मुस्लिम समाज के दृष्टिकोण को साझा किया।

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फिल्म इंडस्ट्री पर आलोचना

मौलाना रजवी ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री के लोग, सरकार और मीडिया, मुस्लिम समाज की कमजोर कड़ियों पर हथियार डालने में माहिर हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुसलमानों की असली कमजोरी तीन तलाक़ का मुद्दा है। मौलाना ने कहा, “1985 में शाहबानो केस के दौरान पूरे देश में संसद से लेकर सड़कों तक, शहर से लेकर गांव तक हंगामा मचा था। इसी मुद्दे पर हक फिल्म बनाई गई है और इसमें भारत सरकार द्वारा बनाए गए तीन तलाक़ कानून के दृश्य दिखाए गए हैं।”

प्रधानमंत्री से मुलाकात का जिक्र

मौलाना ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपनी मुलाकात का हवाला देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री ने उनसे कहा था कि अगर मुस्लिम धर्मगुरु अपनी धार्मिक जिम्मेदारी निभाते, तो सरकार को तीन तलाक़ कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा, “सरकार को मजबूरन मुस्लिम महिलाओं की समस्याओं को देखते हुए कानून बनाना पड़ा।”

हक फिल्म देखने पर अपनी राय

मौलाना रजवी ने साफ किया कि उन्होंने बचपन से लेकर आज तक कोई फिल्म नहीं देखी है, और न ही वे मुस्लिम महिलाओं को हक फिल्म देखने की सलाह देंगे। उनका कहना था कि यह फिल्म सिर्फ़ विवादास्पद मुद्दों को भड़काने वाली है, और मुस्लिम समाज को इससे कोई लाभ नहीं होगा।

तीन तलाक़ कानून और समाज पर असर

मौलाना ने तीन तलाक़ कानून पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह कानून मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए जरूरी था, लेकिन यह भी जरूरी है कि धर्मगुरु अपने समाज में सही मार्गदर्शन दें। उन्होंने जोर दिया कि केवल कानून बनाना ही पर्याप्त नहीं है; समाज में जागरूकता और नैतिक जिम्मेदारी भी उतनी ही जरूरी है।

समाज और मीडिया पर चिंता

मौलाना रजवी ने मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री पर चिंता जताई कि यह अक्सर समाज की कमजोर कड़ियों को उजागर करके विवाद पैदा करती है। उन्होंने कहा कि फिल्में बनाते समय धार्मिक संवेदनाओं और समाज की वास्तविक समस्याओं को ध्यान में रखना चाहिए।

मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी का यह बयान यह दर्शाता है कि मुस्लिम समाज में संवेदनशील मुद्दों को समझदारी और सही मार्गदर्शन की जरूरत है। उन्होंने साफ किया कि उनकी प्राथमिकता धार्मिक जिम्मेदारी और समाज के हित को सुरक्षित रखना है, न कि फिल्म इंडस्ट्री या मीडिया द्वारा बनाई गई विवादास्पद कहानियों को बढ़ावा देना।

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