New Delhi : इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिकारी के खिलाफ जमानती वारंट होने और यूपी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट से राहत मांगने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना कड़ा रुख इख्तियार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अधिकारी बहुत अहंकारी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिक कड़ी सजा की आवश्यकता है। हाईकोर्ट ने एक मामले में प्रदेश के वित्त सचिव एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव(राजस्व) के खिलाफ वारंट जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हाई कोर्ट द्वारा जारी वारंट रद्द नहीं किया जाएगा।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और अतिरिक्त वित्त सचिव(राजस्व) को कलेक्शन अमीन की सेवा नियमित करने और बकाया भुगतान से जुड़े मामले में जमानती वारंट जारी किया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI एनवी रमना की पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि अधिकारी बहुत अहंकारी हैं। और कहा कि आप इस सब के लायक हैं। कहा कि आप यहां पर किस मामले में बहस कर रहे हैं,हाई कोर्ट को अब तक गिरफ्तारी का आदेश करना चाहिए था।
बीती 1 नवंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा कहा गया था कि अधिकारी अदालत को खेल का मैदान समझ रहे हैं। अदालत ने कहा कि उस व्यक्ति को वेतन देने से इनकार कर दिया गया जिस व्यक्ति को पहले सेवा के नियमितीकरण के सही दावे से वंचित कर दिया गया। अधिकारियों ने जानबूझकर कोर्ट को गुमराह किया है।और याचिकाकर्ता को बकाया वेतन नहीं देने में अतिरिक्त महाधिवक्ता की ओर से दिए गए हलफनामे का उल्लंघन किया है।
सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिकारियों के आचरण को निंदनीय बताया था। कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) और तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट रहे इस समय यूपी के वित्त सचिव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के निर्देश दिए थे और 15 नवंबर को पेश होने के लिए कहा था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन राहत नहीं मिली।