प्रतीक की मौत से बुझ गया वंश का दीपक: रोडवेज बस की टक्कर से युवक की दर्दनाक मौत
रिपोर्ट - सैयद मारूफ अली

बरेली : शुक्रवार की शाम बरेली सैटेलाइट बस स्टैंड पर एक दर्दनाक हादसे ने न सिर्फ एक युवक की जान ले ली, बल्कि एक पूरे वंश को समाप्त कर दिया। रोडवेज बस की टक्कर से प्रतीक सिंह नामक युवक की मौके पर ही मौत हो गई। प्रतीक अपने परिवार का इकलौता सदस्य था, उसके माता-पिता की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। अब उसकी मौत के साथ ही परिवार की आखिरी कड़ी भी टूट गई।
बस स्टैंड पर हुआ हादसा, मौके पर ही मौत
यह दिल दहला देने वाला हादसा शुक्रवार शाम बरेली के सैटेलाइट बस स्टैंड पर हुआ। 28 वर्षीय प्रतीक सिंह, पुत्र स्वर्गीय ओमपाल सिंह, ग्राम धमनपुर, थाना तिलहर, जिला शाहजहांपुर का निवासी था। वह उत्तराखंड के सितारगंज में एक निजी प्लांट में नौकरी करता था और सप्ताहांत में अपने गांव लौट रहा था।
खबर मे क्या क्या
जानकारी के अनुसार, प्रतीक ने सितारगंज से बरेली तक की यात्रा रोडवेज बस से की थी। जैसे ही वह सैटेलाइट बस स्टैंड पर उतरा और दूसरी बस पकड़ने के लिए आगे बढ़ा, उसी दौरान रोडवेज की एक अन्य बस ने उसे टक्कर मार दी। हादसा इतना गंभीर था कि प्रतीक की मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर भेजा पोस्टमार्टम
हादसे की सूचना मिलते ही बारादरी थाना पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर जिला अस्पताल भिजवाया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित किया और शव को मोर्चरी में रखवा दिया गया। शनिवार सुबह पुलिस द्वारा पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।
पुलिस अब इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। रोडवेज बस चालक की पहचान की जा रही है और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
मृतक प्रतीक था परिवार की आखिरी उम्मीद
मृतक प्रतीक सिंह के चाचा सोमपाल सिंह ने बताया कि प्रतीक अपने परिवार में अकेला वारिस था। लगभग 15 वर्ष पूर्व उसके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी थी। प्रतीक न तो विवाहित था, न उसका कोई भाई या बहन था। उसका जीवन ही परिवार की आखिरी कड़ी था।
चाचा ने भावुक होकर बताया, “प्रतीक ही हमारे खानदान की आखिरी उम्मीद था। अब तो वंश का दीपक ही बुझ गया है। उसका यूं चले जाना पूरे परिवार के लिए एक ऐसा घाव है जो कभी नहीं भर सकता।”
समाज और प्रशासन के लिए भी एक चेतावनी
यह हादसा न सिर्फ एक व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी है। आए दिन हो रहे सड़क हादसों में लोगों की जानें जा रही हैं, जिनमें कई बार ऐसे लोग भी शामिल होते हैं जो अपने परिवार के इकलौते सहारे होते हैं।
प्रशासन और परिवहन विभाग को ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में किसी और परिवार को प्रतीक जैसे हादसे का शिकार न होना पड़े।
प्रतीक सिंह की असामयिक और दुखद मृत्यु ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि एक क्षणिक लापरवाही कितनी बड़ी त्रासदी ला सकती है। अब प्रतीक तो इस दुनिया में नहीं रहा, लेकिन उसकी मौत सवाल छोड़ गई है – क्या हमारी सड़कों पर आम आदमी की जान की कोई कीमत नहीं?