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पंजाब बाढ़ पीड़ितों के लिए साबिर पाक के कुल में ख़ुसूसी दुआ

बरेली की नोमहला मस्जिद स्थित दरगाह नासिर मियां पर हज़रत साबिर पाक के 757वें उर्स के मौके पर कुल शरीफ की महफ़िल आयोजित हुई। कलियर शरीफ न जा सके अकीदतमंदों ने बड़ी तादाद में इसमें शिरकत की। महफ़िल का आगाज़ मिलाद-ए-पाक से हुआ, उसके बाद महफ़िल-ए-समां हुई। कुल शरीफ की रस्म में ख़ुसूसी दुआओं में पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की मदद, मुल्क की तरक्की, अवाम की खुशहाली, बेरोजगारों को रोजगार और बीमारों को शिफ़ा की दुआ मांगी गई। दरगाह ख़ादिम सूफ़ी शाने अली कमाल मियां ने दुआ कराई और आखिर में लंगर तक़सीम हुआ। बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने हिस्सा लिया।

रिपोर्ट – सैयद मरूफ अली

बरेली। हज़रत साबिर पाक के 757वें उर्स के मौके पर जहां बड़ी तादाद में अकीदतमंद कलियर शरीफ पहुंचे, वहीं जो लोग किसी वजह से वहां न जा सके, उन्होंने बरेली की नोमहला मस्जिद स्थित दरगाह नासिर मियां पर आयोजित कुल शरीफ की महफ़िल में शिरकत की। इस मौके पर न सिर्फ मिलाद-ए-पाक और महफ़िल-ए-समां का आयोजन हुआ, बल्कि ख़ुसूसी दुआओं में पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत और मुल्क की तरक्की के लिए इल्तिजा की गई।

कुल शरीफ की महफ़िल और ख़ुसूसी दुआ

शाहिद रज़ा नूरी ने बताया कि महफ़िल का आगाज़ मिलाद-ए-पाक से हुआ, जिसके बाद महफ़िल-ए-समां ने माहौल को रूहानी रंग में डूबो दिया। कुल शरीफ की रस्म में ख़ास दुआ की गई जिसमें पंजाब के बाढ़ प्रभावित लोगों की मुश्किलों को आसान करने और उन्हें राहत मिलने की गुज़ारिश अल्लाह से की गई। दुआओं में मुल्क और अवाम की तरक्की, खुशहाली, सलामती, बेरोजगारों को रोजगार और बीमारों को शिफ़ा की दुआएं भी शामिल थीं।

पम्मी खां वारसी, समाजसेवी
समाजसेवियों और बुज़ुर्गों का पैग़ाम

समाजसेवी पम्मी ख़ाँ वारसी ने कहा कि हज़रत साबिर पाक की शख्सियत सब्र और धैर्य का पैग़ाम देती है। उन्होंने कहा कि साबिर पाक से हमें सब्र करने की सीख मिलती है और उनके दरबार में मांगी गई दुआएं अल्लाह तआला कुबूल करता है। बुज़ुर्गों ने हमेशा शांति, सौहार्द और नेक कामों में हिस्सा लेने की नसीहत की है। पम्मी ख़ाँ ने कहा कि नेकियों के रास्ते पर चलकर ही इंसान की ज़िंदगी आसान होती है।

दरगाह ख़ादिम की दुआ और लंगर का तक़सीम

दरगाह ख़ादिम सूफ़ी शाने अली कमाल मियां साबरी नासरी ने कुल शरीफ की दुआ कराई। दुआ के बाद लंगर तक़सीम किया गया जिसमें बड़ी तादाद में मौजूद अकीदतमंदों ने हिस्सा लिया। दुआ के दौरान रूहानी माहौल ऐसा बना कि लोग देर तक इबादत में डूबे रहे।

बड़ी तादाद में अकीदतमंदों की शिरकत

इस मौके पर सूफ़ी शाने अली कमाल मियां, पम्मी वारसी, मोहम्मद शाहिद कुरैशी नासरी साबरी, सलीम साबरी, शाहिद रज़ा नूरी, ज़िया-उर-रहमान, अनीस साबरी, नसीम गुड्डू साबरी, रिज़वान साबरी, शमशाद साबरी, दिलशाद साबरी कल्लन मियां, आक़िल पहलवान, शहज़ाद पहलवान, शेर मोहम्मद, अतीक साबरी सहित बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने कुल शरीफ की महफ़िल में शिरकत की।

इंसानियत और भाईचारे का पैग़ाम

कुल शरीफ की महफ़िल ने एक बार फिर ये पैग़ाम दिया कि सूफ़िया-ए-किराम की तालीमात इंसानियत, भाईचारे और अमन की राह दिखाती हैं। मौजूदा दौर में जब इंसान कई मुश्किलों से जूझ रहा है, ऐसे आयोजनों से समाज में मोहब्बत और राहत का पैग़ाम पहुंचता है। पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए की गई दुआ ने यह संदेश दिया कि इंसानियत से बढ़कर कोई चीज़ नहीं और हर मुश्किल घड़ी में एक-दूसरे के साथ खड़ा होना ही असल इबादत है।

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