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85 वां उर्से हामिदी 9 नवंबर को दरगाह आला हजरत / ताजुश्शरिया में मनाया जाएगा

बरेली । दरगाह आला हजरत / ताजुश्शरिया में 9 नवंबर 2025 को 85 वां उर्से हामिदी बड़े धूमधाम और धार्मिक परंपरा के साथ मनाया जाएगा। इस बार उर्स का आयोजन जांनाशीने ताजुश्शरिया, क़ाज़ी ए हिन्दुस्तान मुफ्ती मुहम्मद असजद रजा खां कादरी की सरपरस्ती एवं सदारत में संपन्न होगा।

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उर्से हामिदी कार्यक्रम का विवरण

9 नवंबर को सुबह नमाज़े फजर के बाद बामुकाम खानकाहे ताजुश्शरिया में कुरआन ख्वानी, नातों और मनकबत का सिलसिला शुरू होगा। दिनभर के कार्यक्रम के अंतर्गत शाम को नमाज़े ईशा के बाद नातों और मनकबत का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर बहार से आये हुए उलेमा ए किराम की धार्मिक तकरीर भी होगी।

कुल शरीफ हुज्जतुल इस्लाम 10 बजकर 35 मिनट पर होगा। उर्स के अवसर पर आए हुए मेहमानों और उलेमा के लिए लंगर का भी विशेष इंतज़ाम किया गया है।

हुज्जतुल इस्लाम अल्लामा हामिद रज़ा खान साहब का जीवन परिचय

जमात रज़ा ए मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खान (सलमान मियां) ने बताया कि आला हजरत के बड़े बेटे, हुजूर हुज्जतुल इस्लाम अल्लामा हामिद रज़ा खान साहब की दुनिया में पहचान उनके नाम से है। सलमान मियां ने कहा कि हुज्जतुल इस्लाम अपनी विद्या और फज़्ल में बेहद प्रखर थे।

उनका चेहरा नूरानी था और जो भी इसे देखता था, उनका दीवाना हो जाता था। उनकी हस्ती ने ना केवल मुस्लिमों, बल्कि कई गैर मुस्लिमों को भी इस्लाम की हक़ीकत से परिचित कराया। कई लोग उनके प्रभाव से कलमा पढ़कर इस्लाम में दाखिल हुए। हामिद रज़ा साहब, आला हज़रत के पहले जांनाशीन भी थे।

खिदमत-ए-दीन और प्रमुख कृतियाँ

जमात रज़ा ए मुस्तफा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान हसन खान (फरमान मियां) ने बताया कि हुज्जतुल इस्लाम ने अपनी पूरी जिंदगी खिदमत-ए-दीन के लिए समर्पित कर दी। उन्होंने कई किताबें लिखीं जिनमें नातिया दीवान, बयाज़े पाक, अल सारिम अल रब्बानी, सददुल फिरार, हाशिया मुल्ला जलाल और फतावा हामिदीया प्रमुख हैं।

हुज्जतुल इस्लाम बरेली शरीफ में माहे रबी उल अव्वल 1292 हिजरी में जन्मे। उनका विसाल 17 जुमादुल ऊला, यानि 12 मई 1943 को हुआ। उनके जीवन और कार्यों ने उन्हें समर्पण और धार्मिक ज्ञान का प्रतीक बना दिया।

प्रमुख अतिथि और सहभागिता

इस अवसर पर सय्यद अजीमुद्दीन, मुफ्ती नश्तर फारूकी, मुफ़्ती ज़ैद मौलाना, मुफ़्ती आज़म, डॉ मेहंदी हसन, इकराम रज़ा, शमीम अहमद, मोइन खान, समरान खान, बख्तियार खान, दन्नी अन्सारी समेत कई प्रमुख धार्मिक और समाजसेवी उपस्थित रहेंगे।

85 वां उर्से हामिदी धार्मिक आस्था और भाईचारे का प्रतीक है। यह आयोजन न केवल दरगाह आला हजरत / ताजुश्शरिया की परंपराओं को जीवित रखता है, बल्कि नई पीढ़ी को धार्मिक शिक्षाओं और संस्कारों से जोड़ने का माध्यम भी है।

इस धार्मिक आयोजन में शामिल होने वाले श्रद्धालु और मेहमान इस्लामी संस्कृति और उर्स की परंपरा का आनंद उठाएंगे और आध्यात्मिक अनुभूति का अनुभव करेंगे।

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