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कोरोना से निजात के लिए मुल्क व मिल्लत के लिए दुआ करें

बरेली – बज्म-ए-गौस-ए-आज़म (तन्ज़ीम) से जुड़े हाफ़िज़ मुहम्मद फुरकान रज़ा मंज़री ने शबे-बारात पर मुल्क भर के मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि यह हमारे लिए एक सुनेहरा मौका है कि इस रात को हम अपने रब की बारगाह में सच्ची तौबा करें, अपने गुनाहों की बख़्शीश तलब करें, दुनिया व आख़िरत की भलाई चाहें और करोना जैसी भयानक बीमारी हिन्दुस्तान में दोबारा ना हो और मुल्क व मिल्लत की हिफाजत के लिए भी अल्लाह से फरियाद करें।

शबे-बारात पर तमाम तरह की खुराफात जैस गाड़ीयो का स्टंट करना तेज़ गाडी चलाना बिना किसी वजह के देर रात तक सड़को पर घूमना और गली मुहल्लो चौकों मे भीड़ लगाने से बचे।

हाफ़िज़ मुहम्मद फुरकान रज़ा मंज़री के हवाले से तन्ज़ीम के राष्ट्रीय महासचिव समरान खान ने बताया की गुनाहों से बख़्शिश की रात शाबान इस्लाम का आठवाँ महीना है और हदीस शरीफ में इस की बेशुमार फज़ीलातें आईं हैं।

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अल्लाह के रसूल नें शाबान को अपना महीना करार देते हुए इर्शाद फरमाया रजब अल्लाह का महीना है, शाबान मेरा और रमज़ान मेरी उम्मत का महीना है। इस महीने की पन्द्रहवीं (15वी) रात को अल्लाह आसमाने दुनिया पर खास तजल्ली फार्माता है और यह ऐलान फार्माता है कि है कोई मुझ से अपने गुनाहों की बख़्शीश का तलबगार जिसे मैं बख्श दूँ, है कोई मुसीबतों का मारा जिसकी मुसीबतें मैं दूर कर दूँ, है कोई बीमारियों से निजात चाहने वाला जिसे मैं बीमारियों से निजात दे दूँ, है कोई ये मांगने वाला, जिसकी मुरादें मैं पूरी कर दूँ, अल्लाह इस मुबारक रात में ख़ुद ही माइल ब-करम होता है।

यह रात बहुत फ़ाजिलियत की रात है। इस दिन सभी मुसलमान नफ्ली रोज़ा रखें शाबान की 14-15 या 15-16 का। अपने घरों में नियाज़ और नज़र करें। सोशल डिस्टेन्सिंग और मास का खास ध्यान रखते हुए अपने घर की ही पास मस्जिद में बैठकर इबादत करें,कब्रिस्तान जाए और अज़िज़ो के लिए मग्फिरत की दुआ करें। वालियों की बारगाह में हाज़री दे।

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