उर्स-ए-ताजुश्शरिया (उर्से ताजुश्शरिया – ताजुश्शरिया का उर्स) का पोस्टर जारी, 04 और 05 मई 2025 को होगा एहतमाम (आयोजन)
रिपोर्ट - सैयद मारूफ अली

बरेली सुन्नी मरकज़ (केंद्र) में होगा सातवां उर्स, मुल्क ओ खारिज (देश और विदेश) से जमा होंगे लाखों अकीदतमंद (श्रद्धालु)
बरेली, 07 अप्रैल 2025: दरगाह-ए-आला हजरत और ताजुश्शरिया की तरफ से एक प्रेस नोट जारी करके सातवें उर्स-ए-ताजुश्शरिया (उर्से ताजुश्शरिया – ताजुश्शरिया का उर्स) के एहतमाम (आयोजन) का एलान किया गया है। ये मुकद्दस (पवित्र) तकरीब (समारोह) 04 और 05 मई 2025 को खानकाह-ए-ताजुश्शरिया/जामिया-तुर-रजा (खानकाहे ताजुश्शरिया/जामियातुर्रजा – ताजुश्शरिया की खानकाह/जामियातुर्रजा) में मुनअकिद (आयोजित) होगी। उर्स का पोस्टर जारी कर दिया गया है, जिसमें जांनशीन-ए-ताजुश्शरिया (जांनशीने ताजुश्शरिया – ताजुश्शरिया के उत्तराधिकारी), ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया, काइद-ए-मिल्लत (क़ाइद ए मिल्लत – राष्ट्र का नेता) मुफ्ती मुहम्मद असजद रजा खां कादरी की सरपरस्ती (संरक्षण) और सदारत (अध्यक्षता) में इस तकरीब (समारोह) को अजीम-ओ-शान (भव्य) बनाने की तय्यारियां (तैयारियां) की जा रही हैं।

पोस्टर जारी, तय्यारियां (तैयारियां) शुरू
जमात-ए-रजा-ए-मुस्तफा के कौमी (राष्ट्रीय) नायब सदर (उपाध्यक्ष) और उर्स के इंचार्ज सलमान हसन खां (सलमान मियां) ने बताया कि बरेली सुन्नी मरकज़ (केंद्र) के अपने वक्त के सबसे बड़े दीनी आलिम (धर्म गुरु) मुफ्ती मुहम्मद अख्तर रजा खां कादरी अजहरी ताजुश्शरिया (ताजुश्शरिया) के एहतराम (सम्मान) में मुनअकिद (आयोजित) होने वाले इस उर्स का पोस्टर जारी हो चुका है। उन्होंने कहा कि ये तकरीब (समारोह) मुल्क ओ खारिज (देश और विदेश) के उलेमा-ए-किराम (विद्वान मौलवी) और लाखों अकीदतमंदों (श्रद्धालुओं) की हाजिरी (उपस्थिति) में मुनअकिद (आयोजित) होगी। सलमान मियां ने मजीद (आगे) बताया कि उर्स की तय्यारियों (तैयारियों) के सिलसिले (संबंध) में कोर कमेटी जल्द ही शासन ओ इंतजामिया (प्रशासन) से राब्ता (संपर्क) करके उन्हें इसकी इत्तिला (सूचना) देगी। साथ ही, सोशल मीडिया और ईमेल के जरिए मुल्क ओ खारिज (देश और विदेश) में दावतनामे (निमंत्रण) भेजे जा रहे हैं, ताकि जियादा से जियादा (अधिक से अधिक) लोग इस मुकद्दस (पवित्र) तकरीब (समारोह) का हिस्सा बन सकें।
खबर मे क्या क्या
सुन्नी मुसलमानों में जोश ओ खरोश (उत्साह)
जमात-ए-रजा-ए-मुस्तफा के कौमी (राष्ट्रीय) जनरल सेक्रेटरी फरमान हसन खां (फरमान मियां) ने कहा कि उर्स-ए-ताजुश्शरिया (उर्से ताजुश्शरिया – ताजुश्शरिया का उर्स) का इंतजार दुनिया भर के सुन्नी मुसलमान बे-चैनी (बेसब्री) से करते हैं। जैसे ही तारीखों का एलान होता है, लोग अपनी तय्यारियां (तैयारियां) शुरू कर देते हैं। उन्होंने बताया कि कई लोग जल्द ही अपने सफर (यात्रा) के टिकट बुक करवा लेते हैं ताकि वो अपने इमाम-ए-अहले सुन्नत (इमामे अहले सुन्नत – सुन्नी समुदाय के इमाम) की बारगाह (दरबार) में हाजिरी (उपस्थिति) दे सकें। फरमान मियां ने ये भी कहा कि जल्द ही तय्यारियों (तैयारियों) का जायजा (निरीक्षण) लिया जाएगा और वालंटियर्स (स्वयंसेवकों) की मीटिंग मुनअकिद (आयोजित) की जाएगी। इस मीटिंग में लोगों को जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी, ताकि मुल्क ओ खारिज (देश और विदेश) से आने वाले जायरीन (तीर्थयात्रियों) को किसी किस्म (प्रकार) की परेशानी न हो।
कोर कमेटी की सरगर्मी (सक्रियता)
इस तकरीब (समारोह) को कामयाब (सफल) बनाने के लिए कोर कमेटी पूरी तरह सरगर्म (सक्रिय) है। प्रेस नोट के मुताबिक, इस मौके पर कोर कमेटी के अरकान (सदस्य) मुफ्ती नश्तर फारूकी, मुफ्ती अफजल, मुफ्ती बिलाल, डॉ. मेहंदी हसन, शमीम अहमद, मोईन खां, अब्दुल्ला खां नवेद अजहरी, आबिद नूरी, मौलाना मुर्तजा अजहरी, बख्तियार खां, दन्नी अंसारी समेत कई दीगर (अन्य) लोग मौजूद थे। इन सबने उर्स को शानदार और मुनज्जम (व्यवस्थित) तरीके से मुनअकिद (आयोजित) करने का अजम (प्रतिबद्धता) जाहिर किया।
उर्स की अहमियत (महत्व)
उर्स-ए-ताजुश्शरिया (उर्से ताजुश्शरिया – ताजुश्शरिया का उर्स) का एहतमाम (आयोजन) मुफ्ती मुहम्मद अख्तर रजा खां कादरी अजहरी ताजुश्शरिया (ताजुश्शरिया) की याद में किया जाता है, जो सुन्नी बिरादरी (समुदाय) के लिए एक अजीम (महान) रूहानी (आध्यात्मिक) शख्सियत (व्यक्तित्व) थे। ये तकरीब (समारोह) न सिर्फ उनकी तालीमात (शिक्षाओं) और खिदमात (योगदान) को याद करने का मौका है, बल्कि मुल्क ओ खारिज (देश और विदेश) के मुसलमानों को मुत्तहिद (एकजुट) करने का जरिया (माध्यम) भी है। हर साल लाखों की तादाद (संख्या) में लोग इस तकरीब (समारोह) में शरीक (शामिल) होते हैं और अपने अकीदे (आस्था) का इजहार (प्रदर्शन) करते हैं।
इंतजामिया (प्रशासनिक) तआवुन (सहयोग) की तवक्को (उम्मीद)
मुनज्जिमीन (आयोजकों) ने तवक्को (उम्मीद) जाहिर की है कि शासन ओ इंतजामिया (प्रशासन) इस तकरीब (समारोह) में पूरा तआवुन (सहयोग) करेगा। हुजूम (भीड़) के इंतजाम (प्रबंधन), सिक्योरिटी इंतजामात (सुरक्षा व्यवस्था) और दीगर जरूरी तरतीबात (इंतजामों) के लिए जल्द ही इंतजामिया हुकूमत (प्रशासनिक अधिकारियों) से मुलाकात की जाएगी। उर्स के दौरान जायरीन (तीर्थयात्रियों) की सहूलियत (सुविधा) और तहफ्फुज (सुरक्षा) को तरजीह (प्राथमिकता) दी जाएगी, ताकि ये तकरीब (समारोह) अमन ओ कामयाबी (शांति और सफलता) से मुकम्मल (संपन्न) हो सके।
उर्स-ए-ताजुश्शरिया (उर्से ताजुश्शरिया – ताजुश्शरिया का उर्स) का ये एहतमाम (आयोजन) न सिर्फ दीनी नजरिए (दृष्टिकोण) से अहम (महत्वपूर्ण) है, बल्कि इजतिमाई इततेहाद (सामाजिक एकता) और भाईचारे को फरोग (बढ़ावा) देने में भी अहम किरदार (भूमिका) अदा करता है। तय्यारियां (तैयारियां) जोरों पर हैं और आने वाले दिनों में इसकी शान ओ शौकत (भव्यता) में मजीद इजाफा (बढ़ोतरी) होने की उम्मीद है।