सलमान के गांव में नबीरा-ए-आला हज़रत: आर्थिक मदद और इंसाफ की मांग
रिपोर्ट - सैयद मारूफ अली
बरेली : क्योलड़िया क्षेत्र के म्योड़ी ख़ुर्द कलां गांव में उस समय भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा, जब नबीरा-ए-आला हज़रत व ऑल इंडिया रज़ा एक्शन कमेटी (आरएसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी पुलिस उत्पीड़न के शिकार सलमान के परिवार से मिलने पहुंचे। पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर अपनी जान गंवाने वाले सलमान के परिजनों को न केवल आर्थिक सहायता प्रदान की गई, बल्कि इंस्पेक्टर श्रवण कुमार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी उठाई गई। मौलाना अदनान ने सलमान की तीन अविवाहित बहनों के निकाह का ज़िम्मा लेने का ऐलान कर परिवार को ढांढस बंधाया। यह घटना न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि सामाजिक एकजुटता और इंसाफ की लड़ाई को भी रेखांकित करती है।

सलमान के परिवार को आर्थिक और भावनात्मक सहारा
मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी का काफ़िला जब म्योड़ी ख़ुर्द कलां गांव पहुंचा, तो गांव में पसरा सन्नाटा उत्साह और उम्मीद में बदल गया। आसपास के गांवों से सैकड़ों लोग सलमान के परिवार के प्रति एकजुटता दिखाने पहुंचे। मौलाना अदनान ने सलमान के पिता को 11 हज़ार रुपये का चेक सौंपा और परिवार की क़ानूनी लड़ाई में हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने सलमान की छह बहनों में से तीन अविवाहित बहनों के निकाह का खर्च उठाने की घोषणा की, जो परिवार के लिए एक बड़ी राहत साबित हुई। इस मौके पर मौलाना ने कहा, “हमारा मकसद केवल आर्थिक मदद नहीं, बल्कि इस परिवार को इंसाफ दिलाना और समाज में विश्वास बहाल करना है।”
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पुलिस उत्पीड़न की दर्दनाक कहानी
सलमान के पिता ने मौलाना अदनान और उपस्थित लोगों के सामने अपनी पीड़ा बयां की। उन्होंने बताया कि क्योलड़िया थाने में तैनात इंस्पेक्टर श्रवण कुमार ने सलमान को कई बार थाने बुलाकर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। एक लड़की को ले जाने के शक में सलमान को निशाना बनाया गया और उसे धमकियां दी गईं। सलमान के पिता ने बताया कि उन्होंने इंस्पेक्टर को साढ़े 55 हज़ार रुपये की रिश्वत भी दी, लेकिन वो अपने बेटे को बचाने में नाकाम रहे।
30 अप्रैल को इंस्पेक्टर का फोन आने के बाद सलमान ख़ौफ़ से इस कदर सहम गया कि वह गश खाकर गिर पड़ा। परिवार को उसकी चोटें दिखाई दीं, जो पुलिस की बर्बरता का सबूत थीं। परिवार ने अगली सुबह अधिकारियों से शिकायत करने का फैसला किया, लेकिन सलमान ने ख़ौफ़ के मारे रात में फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। इस घटना ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया।

इंस्पेक्टर श्रवण कुमार पर कार्रवाई की मांग
मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी ने सलमान के पिता की आपबीती सुनने के बाद पुलिस प्रशासन की लापरवाही और इंस्पेक्टर श्रवण कुमार की भूमिका पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “जब एक पिता अपने जवान बेटे को खो देता है और उसकी शिकायत तक दर्ज नहीं होती, तो यह क़ानून के राज पर सवाल उठाता है। पुलिस का काम जनता की रक्षा करना है, न कि उसे डराना।” उन्होंने मांग की कि इंस्पेक्टर श्रवण कुमार के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई की जाए और सलमान के परिवार को न्याय मिले।
मौलाना ने यह भी बताया कि आरएसी की टीम जल्द ही पुलिस के आला अधिकारियों से मुलाकात कर इस मामले को गंभीरता से उठाएगी। उन्होंने पुलिस प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं हुई, तो आरएसी व्यापक स्तर पर आंदोलन छेड़ने को तैयार है।

सामाजिक एकजुटता और आरएसी का योगदान
मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी के काफ़िले में मुफ्ती उमर रज़ा, हाफिज़ इमरान रज़ा बरकाती, मुशाहिद रफ़त, अब्दुल लतीफ कुरैशी, मौलाना सय्यद सफदर रज़ा, मौलाना इदरीस रज़ा, सय्यद मुशर्रफ, सईद सिब्तैनी, अरशद रज़ा, फुरक़ान रज़ा, गुल हसन, उवैस खां, मुहम्मद सरताज, मुहम्मद आरिफ, पवनीत सिंह जैसे प्रमुख लोग शामिल थे। गांव में मौलाना का स्वागत करने वालों में तसव्वर खां, मौलाना याक़ूब, नूर अहमद, ज़हीरउद्दीन, हाजी बशीरउद्दीन, मुहम्मद पप्पू, अशफ़ाक़ अंसारी, ज़ाकिर हुसैन, नाज़िम हुसैन जैसे गणमान्य लोग मौजूद रहे।
आरएसी ट्रस्ट ने न केवल सलमान के परिवार को आर्थिक सहायता दी, बल्कि उनकी क़ानूनी लड़ाई में साथ देने का वादा किया। मौलाना अदनान ने कहा, “हमारा संगठन समाज के कमज़ोर वर्गों के साथ खड़ा है। सलमान का मामला एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सबक है। हमें मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकना होगा।”
सलमान की आत्महत्या और उसके पीछे पुलिस उत्पीड़न की कहानी न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह व्यवस्था की विफलता को भी उजागर करती है। मौलाना अदनान रज़ा क़ादरी और उनके नेतृत्व में आरएसी ने इस मामले में न केवल मानवीय संवेदना दिखाई, बल्कि इंसाफ की लड़ाई को एक नई दिशा दी। सलमान के परिवार को आर्थिक सहायता, उनकी बहनों के निकाह का ज़िम्मा और इंस्पेक्टर श्रवण कुमार के खिलाफ कार्रवाई की मांग इस बात का प्रमाण है कि सामाजिक संगठन और समुदाय मिलकर बदलाव ला सकते हैं। यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क़ानून का राज तभी कायम हो सकता है, जब हर नागरिक को बिना भय के इंसाफ मिले।