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फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर विधवा-वृद्धा पेंशन में करोड़ों का घोटाला — आंवला पुलिस ने चार आरोपियों को दबोचा

▪️बरेली से बड़ी कार्रवाई, सरकारी योजनाओं के नाम पर गरीब महिलाओं से ठगी कर करोड़ों की रकम उड़ाई गई

बरेली। थाना आंवला पुलिस ने सरकारी योजनाओं में फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से करोड़ों रुपये की धनराशि का गबन करने वाले एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरोह लंबे समय से गरीब और सीधी-सादी महिलाओं को झांसा देकर उनके दस्तावेजों का दुरुपयोग कर सरकारी पेंशन योजनाओं की राशि अपने खातों में डलवा रहा था।

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गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम हरीश कुमार, शांतिस्वरूप, मुनीष और प्रमोद बताए गए हैं। पुलिस ने इनके कब्जे से कई फर्जी दस्तावेज और मृत्यु प्रमाण पत्रों की छायाप्रतियां बरामद की हैं।

पुलिस गिरफ्त खड़े फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले आरोपी
पुलिस गिरफ्त खड़े फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले आरोपी
ऐसे करते थे करोड़ों का फर्जीवाड़ा

जांच के दौरान सामने आया कि शिकायतकर्ता यासमीन जहां, निवासी थाना इज्जतनगर, द्वारा दिए गए प्रार्थना-पत्र पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने पूरे गिरोह का भंडाफोड़ किया।

गिरोह के सदस्य गरीब और अशिक्षित महिलाओं को “सरकारी योजना” और “पैसा डबल स्कीम” का लालच देकर उनके आधार कार्ड, बैंक पासबुक और अन्य दस्तावेज हासिल कर लेते थे।

इसके बाद इन जीवित व्यक्तियों के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार कर, उन्हें मृत दिखाते हुए उनके नाम पर विधवा पेंशन और वृद्धावस्था पेंशन का फर्जी आवेदन किया जाता था। पेंशन स्वीकृत होने के बाद राशि गिरोह के सदस्यों या उनके परिचितों के खातों में ट्रांसफर कर दी जाती थी।

पुलिस जांच में चौंकाने वाला खुलासा

जांच में खुलासा हुआ कि वर्ष 2021 से अब तक इस गिरोह ने 56 लोगों को विधवा पेंशन और 2 लोगों को वृद्धावस्था पेंशन का फर्जी लाभार्थी दिखाकर कुल 1,23,22,647/रुपए (एक करोड़ तेईस लाख बाईस हजार छह सौ सैंतालीस रुपये) का गबन किया है।

पुलिस के अनुसार, गिरोह ने अब तक 7 बैंक खातों के जरिए यह रकम हड़पी है। आरोपियों से 6 फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्रों की छायाप्रतियां भी बरामद की गई हैं, जिनका उपयोग पेंशन पास कराने में किया गया था।

गिरोह के सदस्यों की भूमिका

▪️प्रमोद और उसके साथी लोगों को सरकारी योजनाओं का लालच देकर उनके दस्तावेज इकट्ठा करते थे।

▪️हरीश कुमार, जो ग्राम बिलौरी में जनसेवा केंद्र चलाता है, असली कागजों से फर्जी दस्तावेज तैयार करता था।

▪️शांतिस्वरूप और मुनीष क्षेत्र में घूम-घूमकर लोगों को बहला-फुसलाकर उनके आधार कार्ड और दस्तावेज जुटाते थे।

तैयार फर्जी दस्तावेज हरीश कुमार को सौंपे जाते, जो पेंशन की प्रक्रिया पूरी करवा कर राशि अपने नेटवर्क के खातों में ट्रांसफर कराता था।

गिरफ्तारी और पुलिस टीम की सराहनीय भूमिका

थाना आंवला पुलिस ने प्रभावी कार्रवाई करते हुए चारों अभियुक्तों —हरीश कुमार पुत्र चन्द्रपाल (बसंत बिहार कॉलोनी, आंवला),

शांतिस्वरूप पुत्र मलखान (मोहल्ला शास्त्रीगली, आंवला),

मुनीष पुत्र हीरालाल (ग्राम बिलौरी, आंवला)

और प्रमोद पुत्र भीकमलाल (ग्राम सेंधा, थाना भमौरा) — को गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तारी करने वाली टीम में उप निरीक्षक राजेश बाबू मिश्रा, सचिन कुमार, अमरीश शर्मा, राजेश रावत, इंद्रपाल सिंह, कांस्टेबल अमरेश कुमार, शिवराम, कुलदीप कुमार, हरिओम और राजेन्द्र कुमार शामिल थे।

पुलिस ने कहा – जांच जारी, और भी हो सकते हैं खुलासे

पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने बताया कि गिरोह का नेटवर्क काफी बड़ा हो सकता है। कई अन्य लोगों की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है।

पुलिस का कहना है कि जिन सरकारी कर्मियों की भूमिका इस फर्जीवाड़े में रही होगी, उनके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।

आंवला पुलिस की यह कार्रवाई प्रशासनिक सतर्कता और जिम्मेदारी का उदाहरण है। करोड़ों रुपये की सरकारी योजनाओं का गबन रोकने में यह एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। यह मामला न केवल सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अपराधी अब डिजिटल दस्तावेजों का दुरुपयोग कर ठगी को नए तरीके से अंजाम दे रहे हैं।

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