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खानदाने आलाहज़रत हम्माद रज़ा खान ने नीट में प्राप्त किया विशेष स्थान

दीनी व रूहानी मैदान में खि़दमात अंजाम देने के साथ अब चिकित्सा के मैदान में भी खिदमात अंजाम देंगे खानदाने आलाहज़रत के शहज़ादे

बरेली :- आलाहज़रत और खानदाने आलाहज़रत के बुजुर्गों और शहज़ादगान ने दशकों से रूहानियत, धार्मिक शिक्षा और मसलकी व खानकाही शिक्षा व दीक्षा के मैदान में विश्व स्तर पर अपना एक अहम मक़ाम बनाया है।

खानदाने आलाहजरत नहीं रखा मॉडर्न शिक्षा में कदम

खानदाने आलाहज़रत की विश्व स्तर पर जो पहचान है वह धार्मिक और मसलकी व खानकाही शिक्षा के उत्थान के तौर पर है,मगर ज़माने की रफ्तार और मज़हब व मसलक की जरूरतों को दष्टिगत रखते हुए अब खानदाने आलाहज़रत की नई नस्ल धार्मिक शिक्षा के प्रचार व प्रसार के साथ माॅर्डन और आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में भी अपने कदम जमाने की ओर अग्रसर है।

इसका सबसे अनूठा उदाहरण पेश किया है खानदाने आलाहज़रत के एक नौजवान और कामयाब तरीन शहज़ादे ने जिसे हम हम्माद रज़ा खाँ के नाम से जानते हैं।

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नीट में विशेष स्थान पाने पर दी मुबारकबाद

इन बातों का इज़हार करते हुए आज नबीरा-ए-आलाहज़रत व नबीरा-ए- उस्तादे ज़मन और समाजसेवी आली जनाब अनीस रज़ा खाँ उर्फ अनीस मियाँ साहब ने इस वर्ष विशेष स्थान के साथ नीट की परीक्षा आल इंडिया जनरल रैंक 10007 के साथ उत्तीर्ण करने वाले नबीरा-ए-आलाहज़रत आली जनाब मोहतरम हम्माद रजा खाँ को मुबारकबाद दी।

कौन है हम्माद रजा खान

बताते चलें कि हम्माद रज़ा खाँ जनाब मोहसिन रज़ा खाँ साहब के सबसे छोटे साहबजादे हैं। यह आलाहज़रत और आलाहज़रत के भाई उस्तादे ज़मन अल्लामा हसन रज़ा खाँ बरेलवी की नस्ल और उनके पौत्रों में से हैं।

हम्माद रज़ा खाँ ने चिकित्सा के मैदान में कामायाब अंदाज़ में कदम रखकर दरअस्ल अपने परदादा हज़रत अल्लामा हकीम हुसैन रज़ा खाँ अलैहिर्रहमा की उस विरासत और रीत को जिंदा करने का काम किया है जो उन्होंने चिकित्सा के मैदान में आलाहज़रत के ज़माने में कामयाब तौर पर अंजाम दिया था।

हकीम हुसैन रजा खाँ आलाहज़रत के भतीजे भी थे और दामाद भी जिन्होंने अपने दौर में यूनानी चिकित्सा के क्षेत्र में अपना और अपने खानदान का नाम रौशन किया था।

इंसानियत की खिदमत करने की जताई आशा

इस संबन्ध में मोहम्मद जुबैर रज़ा खाँ ने ख़ानदाने आलाहज़रत के इस ऐतिहासिक पहलू पर रौशनी डालते हुए कहा कि आलाहज़रत के दौर में जिस तरह हमारे परदादा और आलाहज़त के भतीजे व दामाद हज़रत अल्लामा हकीम हुसैन रज़ा खाँ ने बिना किसी लोभ व लालच के मात्र इंसानियत की खि़दमत के नाम पर यूनानी चिकित्सा द्वारा जरूरतमंदों की खिदमत की थी हमें अपने भतीजे जनाब हम्माद रज़ा खाँ साहब से भी यही आशा है कि व अपने पूर्वजों खासकर अपने परदादा हकीम हुसैन रज़ा खाँ साहब के पदचिन्हों पर चलते हुए चिकित्सा के मैदान में इंसानियत की खि़दमत करने का कार्य करेंगे।

देश-विदेश अनुयाई कर रहे हैं खुशियों का इजहार

दरगाह के मीडिया प्रभारी जनाब नासिर कुरैशी साहब ने खानदाने आलाहज़रत का नाम रौशन करने वाले जनाब हम्माद रज़ा खाँ को मुबारकबाद देते हुए कहा कि इस समय आलाहज़रत के अनुयाइयों में हर्षों व उल्लास का माहौल है। देश-विदेश से आलाहज़रत के अनुयाई खानदाने आलाहज़रत के शहज़ादे की इस कामयाबी का इज़हार भी कर रहें हैं और खुशियों का इज़हार भी कर रहे हैं।

दरगाह आलाहज़रत के सज्जादानशीन हज़रत अल्लामा अहसन रज़ा खाँ, दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियाँ साहब, काज़ी ए हिन्दुस्तान हज़रत असजद मियाँ साहब, दरगाह तहसीनिया के सज्जादानशीन मौलाना हस्सान रज़ा खाँ साहब, आई.एम.सी. प्रमुख मौलाना तौकीर रज़ा खाँ साहब, मौलाना मन्नान रज़ा खाँ साहब, दरगाह आलाहज़रत के प्रवकत मुफ्ती सलीम नूरी साहब और मंज़रे इस्लाम के प्राचार्य मौलाना मो0 आकिल रज़वी साहब ने हम्माद रज़ा खाँ को इस कामयाबी पर मुबारकबाद पेश की और उनके लिए दुआएं कीं साथ ही इस बात की आशा की कि यह अपनी चिकित्सीय सेवा के द्वारा मज़हबों मसलक की खि़दमात भी करेंगे और खानदान का नाम रौशन करेंगें।

 

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