CrimechitrakootLatestUttar Pradesh

चित्रकूट जेल में गैंगवार 3 की मौत,मुकीम काला,अंशु दीक्षित और मेराजुद्दीन ढेर।

चित्रकूट-उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में आज गैंगवार हो गया। इस गैंगवार में अंशु दीक्षित नाम के अपराधी में पुलिस सहित कुख्यात अपराधी मुकीम काला और मेराजुद्दीन सहित पुलिस पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इस गैंगवार में अंशु दीक्षित ने मेराज उर्फ मेराजुद्दीन और मुकीम काला को ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए ढेर कर दिया जबकि पुलिस की जवाबी कार्यवाही में अंशु दीक्षित जी मारा गया।

गैंगवार और पुलिस की जवाबी कार्रवाई के में हुई 3 हत्याओं के बाद जिले में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। सूचना पर पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। दरअसल आज जेल के अंदर दो अपराधियों के गुटों में फायरिंग हो गई अंशुल मिश्रा ने ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए मुकीम काला और मेराजुद्दीन को ढेर कर दिया।

मुकीम काला का आपराधिक इतिहास

गैंगवार में मारे गए कुख्यात अपराधी मुकीम काला पर 61 मुकदमे दर्ज थे जोकि अभी भी विचाराधीन है। मुकीम काला पर लिखे गए सारे मुकदमों में सबसे पहला मुकदमा वर्ष 2011 का सहारनपुर के बेहट में लिखा गया था।तब से बर्ष 2016 तक लूट,हत्या गैंगेस्टर आदि अपराधिक मामलों के 61 मामले दर्ज है,ये सारे मुकदमे अदालत में अभी भी विचाराधीन थे।

ka la ka
मुकीम काला

मुकीम काला ने पहली वारदात हरियाणा के पानीपत में एक मकान में डकैती के रूप में अंजाम दी। इस मामले में मुकीम काला जेल गया था। उसके बाद उसने अपराध की दुनिया में अपने कदम आगे बढ़ा दिए। मुकीम काला का खौफ वेस्ट यूपी के अलावा हरियाणा के पानीपत और उत्तराखंड के देहरादून में भी फैला हुआ था । मुकीम का गैंग पुलिस के रडार पर तब आया जब इन्होंने पुलिस पर भी हमले करने शुरू कर दिए। पुलिस के अनुसार, दिसबंर 2011 में पुलिस एनकाउंटर में मुस्तफा उर्फ कग्गा मारा गया जिसके बाद मुकीम काला ने कग्गा के गैंग की बागडोर संभाल कर वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया।

मेराज से अंशु दीक्षित की रहती थी तनातनी

मेराजुद्दीन उर्फ मेराज अली वाराणसी का रहने वाला था। पहले मुन्ना बजरंगी का खास था, फिर मुख्तार अंसारी से जुड़ा। इसकी अंशु दीक्षित से तनातनी रहती थी। संभव है उसी खुन्नस में अंशु ने इसे मारा हो।

Merah Me
मेराज उर्फ मेराजुद्दीन

माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी मेराज अहमद खान 21 मार्च को बनारस जेल से शिफ्ट किया गया था। मऊ सदर विधायक मुख्तार अंसारी के सहयोगी मेराज खान पर फर्जी तरीके से पिस्टल के लाइसेंस का नवीनीकरण कराने के आरोप में पांच सितंबर 2020 को जैतपुरा थाना प्रभारी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ था। तीन अक्टूबर 2020 को आरोपित मेराज ने जैतपुरा थाना क्षेत्र के सरैया चौकी में आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद से जिला कारागार बनारस में निरुद्ध था। मेराज अहमद को जिला कारागार से चित्रकूट भेजा गया था। अशोक विहार कॉलोनी फेज-1 में भी उसका आवास है।

अंशु दीक्षित का आपराधिक इतिहास

पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी का खास व शार्प शूटर था। सीतापुर का रहने वाला था। उसने 27 अक्टूबर 2014 को मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश एसटीएफ पर भी गोलियं चलाई थीं। इसके बाद दिसम्बर 2014 में इसे पकड़ा गया था।

Anshu Dixit1
अंशु दीक्षित

अंशु ने लखनऊ में कई साल पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व महामंत्री विनोद त्रिपाठी की नेहरू एन्क्लेव में हत्या कर दी थी, उसके बाद लख़नऊ में तत्कालीन सीएमओ विनोद आर्या की हत्या में भी उसका नाम आया। वह सुल्तानपुर जेल में बंद था, लेकिन चित्रकूट जेल में सुरक्षा व्यवस्था आधुनिक होने से करीब दो वर्ष पहले यहां भेजा गया था। अंशु दीक्षित आठ दिसंबर 2019 को यहां भेजा गया था। लखनऊ सीएमओ हत्याकांड में भी अंशु दीक्षित शामिल था। वह पूर्वांचल के माफियाओं का चहेता रहा है।

जेल सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल

इतने बड़े इंतज़ाम के बाद कैसे पहुंचा जेल में असलाह
जेल में हुई इतनी बड़ी बारदात पर जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हुए हैं।सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस गैंगवार में इस्तेमाल किया गया हथियार आखिर जेल में कैसे पहुंचा।इतनी बड़ी वारदात के बाद जेल प्रशासन के बड़े अधिकारी छानवीन में लगे हुए हैं और जांच कर रहे है।और ये भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि आखिर इतनी बड़ी वारदात के पीछे का कारण क्या था।

About Author

Related Articles

error: Content is protected !!