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ईद-उल-अज़हा: खुले में न करें कुर्बानी,नालियों में न बहाएं खून

बरेली : ईद-उल-अज़हा का त्यौहार देश भर में 21जुलाई को मनाया जाएगा। ये त्यौहार तीन दिन तक मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान सूरज निकलने के बाद दो रकात नमाज़ वाजिब अदा करता है। उसके बाद साहिबे निसाब (शरई मालदार) मर्द और औरत तीन दिन तक अपने रब की रज़ा की खातिर जानवरों की कुर्बानी देते है। ये सिलसिला 10 ज़िल्हहिज्जा (21 जुलाई) से 12 ज़िल्हहिज्जा (23 जुलाई) तक सूर्यास्त (सूरज डूबने से पहले) तक चलता है।

दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि आज दरगाह आला हज़रत पर दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने दीनी मसाइल पर चर्चा करते हुए कहा कि ईद-उल-अज़हा का त्यौहार हज़रत इब्राहीम अलहेअस्सलाम की याद में मनाया जाता है। कुर्बानी उन्हीं की सुन्नत है। देश भर का मुसलमान इस सुन्नत को खुशदिली के साथ अदा करे। ईद-उल-अज़हा मज़हबी त्योहार के साथ ही इंसानियत का भी त्यौहार है। यह उन एहसासों का त्यौहार है जो इंसानियत के लिए बेहद ज़रूरी है। हम मुसलमानों की जब दोनों ईद आती है तो उस दिन का आगाज़ दो रकात नमाज़ वाजिब से होता है। मुसलमान ईद उल अज़हा को यह नमाज़ अदा कर कुर्बानी देकर अपने रब को राज़ी करता है। वहीं अल्लाह क़ुरआन में इरशाद फरमाता है कि ऐ महबूब अपने रब के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो।

खुले में न करें कुर्बानी,नालियों में न बहाए खून

सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने मुल्क भर के मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि अच्छा मुसलमान व अच्छा शहरी होने की ज़िम्मेदारी निभाते हुए कुर्बानी देते वक्त दूसरे मज़हब की भावनाओ का खास ख़याल रखते हुए कुर्बानी खुले में न करें। किसी बंद जगह में कुर्बानी कर उसके अवशेष किसी गड्ढे में दफन कर दे। खून को नालियों में न बहने दे। कुर्बानी के फोटो या वीडियो सोशाल मीडिया पर वायरल न करे।

नासिर कुरैशी ने बताया कि ईद-उल-अज़हा के पाँच दिन बचे है। ऐसे में कुर्बानी के लिए जानवरों की खरीद फ़रोख्त का सिलसिला शुरू हो चुका है।

इस मौके पर मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी, मौलाना बशीरुल क़ादरी, मौलाना ज़ाहिद रज़ा, शाहिद नूरी, ताहिर अल्वी, औरंगज़ेब नूरी, परवेज़ नूरी, अजमल नूरी, मंज़ूर खान, हाजी जावेद, मुजाहिद बेग, गौहर खान, इशरत नूरी, सय्यद माज़िद, हाजी अब्बास नूरी, यूनुस गद्दी, आसिफ रज़ा, सय्यद फरहत, काशिफ सुब्हानी, ज़ोहिब रज़ा, आसिफ नूरी, शान रज़ा, तारिक सईद, ज़ुबैर रज़ा खान, आलेनबी, जुनैद अज़हरी, सुहैल रज़ा, शाद रज़ा, साकिब रज़ा, शारिक बरकाती,इरशाद रज़ा, साजिद नूरी, अश्मीर रज़ा, आरिफ नूरी, जावेद रज़ा खान, नदीम अज़हरी, अब्दुल जव्वाद, सैफ रज़ा आदि लोग मौजूद रहे।

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