मैट्रोविजन अस्पताल की लापरवाही से मरीज की हालत बिगड़ी, परिजनों ने जिलाधिकारी से लगाई गुहार
रिपोर्ट - सैयद मारूफ अली

बरेली। मिनी बाईपास रोड स्थित मैट्रोविजन अस्पताल एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। फतेहगंज क्षेत्र के ग्राम भिटौरा निवासी धनपाल ने गंभीर आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी ममता, जो पथरी के ऑपरेशन के लिए अस्पताल लाई गई थीं, उन्हें भर्ती करने से पहले ही अस्पताल कर्मियों ने गलत तरीके से दो इंजेक्शन लगा दिए। इससे मरीज का हाथ नीला-काला होकर सूज गया और उसकी स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई।
भर्ती से पहले ही दिए दो इंजेक्शन, हाथ की हालत खराब
धनपाल के अनुसार, 02 सितंबर को पत्नी ममता को अस्पताल लेकर पहुंचे थे। भर्ती करने से पूर्व ही अस्पताल के कर्मचारियों ने दो घंटे के अंतराल में दो इंजेक्शन बाएं हाथ की नस में लगा दिए। इसके बाद खून की कमी और प्लेटलेट्स अधिक होने की बात कहकर खून चढ़ाने की सलाह दी गई। परिजनों का कहना है कि इंजेक्शन लगने के तुरंत बाद ही मरीज का हाथ नीला-काला होकर सूज गया और उसमें तेज दर्द होने लगा।
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डॉक्टरों की मौजूदगी में बिगड़ी हालत
मरीज की बिगड़ती हालत देखकर परिजनों ने डॉक्टरों से आग्रह किया तो डॉक्टर सुरेंद्र वर्मा ने बिना किसी देरी के मरीज को जनरल वार्ड से ICU में शिफ्ट करने की बात कही और 2500 रुपये बताकर भर्ती कर लिया। इलाज के दौरान बार-बार अलग-अलग पर्चियों पर दवाएं लिखकर परिजनों से बाहर से मंगाई गईं। इसी बीच 02 सितंबर की रात लगभग 8:30 बजे ममता की हालत और ज्यादा खराब हो गई।
जिम्मेदार डॉक्टर अनुपस्थित, कर्मचारियों ने दी छुट्टी
धनपाल का कहना है कि 03 सितंबर की सुबह 4:15 बजे मरीज की हालत नाजुक हो गई, लेकिन अस्पताल में कोई जिम्मेदार डॉक्टर मौजूद नहीं था। केवल दो कर्मचारी वहां मौजूद थे। उन्होंने मरीज को किसी अन्य अस्पताल ले जाने की सलाह दी और बिना औपचारिकता किए 1 हजार रुपये नकद लेकर मरीज की छुट्टी कर दी।

लगातार बिगड़ती गई हालत, हाथ काटने की नौबत
परिजन मरीज को रवि अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां डॉक्टर रवि वाष्र्णेय ने बताया कि हाथ की हालत बेहद गंभीर और भयानक है। अगर समय पर उपचार नहीं मिला तो हाथ काटना भी पड़ सकता है। डॉक्टर ने तत्काल ऑपरेशन की सलाह दी। इस बयान से परिजन दहशत और आक्रोश में हैं।
पुलिस हस्तक्षेप के बाद डॉक्टर ने दिया मुफ्त इलाज का आश्वासन
04 सितंबर को मरीज के दामाद ओम बाबू ने अस्पताल जाकर डॉक्टर पूनम गंगवार से बात की और गलत इलाज की भरपाई की मांग की। लेकिन डॉक्टर ने इंकार कर दिया। इसके बाद 112 नंबर डायल कर पुलिस को बुलाया गया। पुलिस की मौजूदगी में डॉक्टर पूनम गंगवार ने मुफ्त इलाज का आश्वासन तो दिया, लेकिन परिजन इस समझौते से संतुष्ट नहीं हुए और मरीज को किसी अन्य अस्पताल में इलाज कराने का निर्णय लिया।

जिलाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग से कार्रवाई की मांग
धनपाल ने जिलाधिकारी को प्रार्थनापत्र देकर मामले की जांच की मांग की है। साथ ही मुख्य चिकित्साधिकारी और थाना इज्जतनगर को भी प्रतिलिपि भेजी गई है। उन्होंने कहा कि मैट्रोविजन अस्पताल की लापरवाही और डॉक्टरों की गैरजिम्मेदारी ने उनकी पत्नी की जान को खतरे में डाल दिया। अब वे निष्पक्ष जांच और विधिक कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
अस्पताल की लापरवाही पर सवाल
यह मामला केवल एक मरीज का नहीं है बल्कि अस्पतालों में हो रही लापरवाही और जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति को उजागर करता है। भर्ती से पहले ही इंजेक्शन लगाने, जिम्मेदार डॉक्टरों की अनुपस्थिति, बिना औपचारिक प्रक्रिया के छुट्टी देना और मरीज को गंभीर हालत में छोड़ देना स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।