दरगाह प्रमुख की कोशिशों से नेपाली उलेमा व बुद्धजीवियों से रिश्ते हो रहे हैं मज़बूत
▪️नेपाल के सुन्नी मुसलमानों में देखने को मिल रहा है दरगाह आलाहज़रत पर हाज़री देने का उत्साह
▪️नेपाली उलेमा का दल पहुँचा दरगाह, टी.टी.एस. ने किया ज़ोरदार स्वागत
बरेली : आलाहज़रत और खानदाने आलाहज़रत के बुजुर्गों और शहज़ादगान ने दशकों से नेपाल की सरज़मीन पर अपनी रूहानियत, धार्मिक शिक्षा और मसलकी व खानकाही शिक्षा व दीक्षा के द्वारा ऐतिहासिक कारनामे और खि़दमात अंजाम दिये हैं।
पड़ोसी मुल्क नेपाल में देश स्तर पर अपना एक अहम मक़ाम बनाया है। खानदाने आलाहज़रत की विश्व स्तर पर जो पहचान है वह धार्मिक और मसलकी व खानकाही शिक्षा के उत्थान के तौर पर है इसलिए उनकी इन खि़दमात से पूरे विश्व ने फायदा उठाया है जिसमें हमारा पड़ोसी मुल्क नेपाल भी है।
सरज़मीन-ए-नेपाल पर आज सूफी-सुन्नी, ख़ानकाही विचारधारा जो पायी जा रही है वह आलाहज़रत और खानदाने आलाहज़रत के कठिन परिश्रमों और प्रयासों का नतीजा है। नेपाल के समस्त सुन्नी-सूफी और खानकाही विचारधारा रखने वाले मरकज़े अहले सुन्नत दरगाहे आलाहज़रत से बेपनाह अक़ीदत व मोहब्बत रखते हैं।
नेपाल से आने बाले उलेमाओं की बढ़ रही संख्या
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि इधर दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियाँ साहब ने नेपाल के सुन्नी उल्मा और मुफ्तीयाने किराम से मरकज़े अहले सुन्नत के रिश्तों को मज़बूत करने के लिए जो सराहनीय प्रयास किये हैं उसका नतीजा यह है कि अब दिन व दिन नेपाल के उलेमा मरकज़े अहले सुन्नत में आमद बढ़ चुकी है।
नेपाली उलेमाओं ने सज्जदनशीन व दरगाह प्रमुख से की मुलाकात
इसी सिलसिले की कड़ी के तौर पर नेपाल के प्रदेश नं 5 से नेपाली उल्मा का एक प्रतिनिधिमण्डल दरगाहे आलाहज़रत पहुंचा जिसका टी.टी.एस. के पदाधिकारियों परवेज़ खाँ नूरी, औरंगज़ेब खाँ नूरी, शाहिद खाँ नूरी, ताहिर अल्वी, हाजी जावेद खाँ, अजमल नूरी, मंजूर खाँ, शान रज़ा, साजिद रज़ा आदि ने मंज़रे इस्लाम के शिक्षक मुफ्ती मो0 सलीम नूरी की अगुयाई में स्वागत किया और दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियाँ तथा सज्जादानशीन हज़रत अहसन मियाँ साहब से मुलाकात कराई।
राहत सामग्री वितरण पर किया शुक्रिया
इस प्रतिनिधिमण्डल ने नेपाल की सरज़मीन पर दरगाह प्रमुख द्वारा राहत सामग्री के वितरण पर उनका शुक्रिया अदा किया और हज़रत अहसन मियाँ को नेपाल का दौरा करने की दावत दी।
नेपाल में 90 % मुस्लिम आला हजरत को मानने बाले हैं
इस मौके पर मो0 जुबैर रज़ा खाँ और तंज़ीम उल्मा-ए-इस्लाम के मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी साहब ने आलाहज़रत की किताबें देकर इन्हें सम्मानित किया। इस प्रतिनिधिमण्डल ने बताया कि नेपाल के 90 प्रतिशत मुसलमान आलाहज़रत को अपना रहनुमा और दरगाहे आलाहज़रत को अपना मरकज़ मानते है और सारे सुन्नी उलेमा नेपाल में मसलके आलाहज़रत के प्रचार व प्रसार में लगे हुए हैं।
इस प्रतिनिधिमण्डल में मौलाना गुलाम मुस्तफा रज़वी जनपद कपिल वस्तु, मौलाना अब्दुल कय्यूम रजवी जनपद बर्दिया, मौलाना अली हुसैन नूरी जनपद बाँके, हाजी नसीर अहमद समाजिक कार्यकर्ता नेपालगंज आदि सम्मिलित थे।