बरेली में भूमाफियाओं की दबंगई: पीड़ित के प्लॉट पर अवैध कब्जा, पुलिस की भूमिका पर सवाल

बरेली, 25 मई 2025: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में भूमाफियाओं की गुंडागर्दी और दबंगई का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जो न केवल निजी संपत्ति के हनन का गंभीर उदाहरण है, बल्कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गहरे सवाल खड़े करता है। पीड़ित अमित अग्रवाल, जो बरेली के निवासी हैं, उन्होंने अपर पुलिस महानिदेशक, बरेली को एक पत्र लिखकर अपने प्लॉट पर अवैध कब्जे, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकियों की शिकायत की है।
खबर मे क्या क्या
इस मामले ने शहर में भूमाफियाओं के बढ़ते हौसले और कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर जनता के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस पत्र को साझा किए जाने के बाद पुलिस अधिकारियों ने थाना प्रेमनगर को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, लेकिन पीड़ित की शिकायतें प्रशासनिक निष्क्रियता की ओर इशारा करती हैं।

अवैध कब्जे और धमकियों का सिलसिला
अमित अग्रवाल ने अपने पत्र में बताया कि उन्होंने गुलमोहर पार्क, राजेंद्र नगर में खसरा नंबर 97 डी के अंतर्गत प्लॉट नंबर 3 और 4, दोनों 180.60 वर्गमीटर, क्रमशः 5 अप्रैल 2024 और 19 जनवरी 2024 को रजिस्टर्ड बैनामे के माध्यम से खरीदे थे। इन प्लॉटों पर निर्माण के लिए उन्होंने बैंक से ऋण स्वीकृति भी प्राप्त की थी, और बैंक में ऋण संबंधी सभी औपचारिकताएं पूरी की गई थीं। लेकिन 24 मई 2025 को जब वह अपने प्लॉट पर पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि विशाल चौधरी, विभूति सिंह यादव, विक्रम यादव, बलवंत सिंह उर्फ बंटी, राजेंद्र सिंह और तरुण त्यागी नामक व्यक्ति उनके प्लॉट पर अवैध रूप से निर्माण कार्य करा रहे थे।
जब अमित ने इसका विरोध किया, तो आरोपियों ने उन्हें मां-बहन की गंदी गालियां दीं और धमकी दी कि अगर वह वहां से नहीं भागे, तो उनकी लाश को उसी प्लॉट में गाड़ दिया जाएगा। इस घटना ने पीड़ित को भयभीत कर दिया, और उनकी जान को गंभीर खतरा पैदा हो गया।
पुलिस की कार्रवाई और पुनः निर्माण का आरोप
भयभीत अमित ने तत्काल डायल 112 पर शिकायत दर्ज की, बाद पीआरवी मौके पर पहुंचा और निर्माण कार्य को रुकवाया। पुलिस ने आरोपियों को थाना प्रेमनगर ले जाकर पूछताछ की, लेकिन यह कार्रवाई अल्पकालिक साबित हुई। पीड़ित का आरोप है कि अगले ही दिन, 25 मई 2025 को, थाना प्रेमनगर पुलिस की मौजूदगी में आरोपियों ने फिर से निर्माण कार्य शुरू कर दिया।
अमित का दावा है कि पुलिस की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि आरोपी उनके प्लॉट को खसरा नंबर 93 डी और 95 डी का बताकर जबरन कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि उनके पास रजिस्टर्ड बैनामे और बैंक ऋण स्वीकृति जैसे वैध दस्तावेज मौजूद हैं। इस घटना ने पुलिस की निष्पक्षता और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
कानूनी लड़ाई और न्याय की गुहार
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अमित अग्रवाल ने न केवल पुलिस के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज की, बल्कि कानूनी रास्ता भी अपनाया। उनके मुताबिक, इस विवाद से संबंधित दो मुकदमे, मूलवाद संख्या 357/2025 और 258/2025, बरेली की एसीजेएम 7 कोर्ट में विचाराधीन हैं, जिसमें विभूति सिंह यादव उनके खिलाफ पक्षकार हैं। इसके बावजूद, भूमाफियाओं की दबंगई और पुलिस की कथित निष्क्रियता के कारण पीड़ित को बार-बार अपमान और धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। अमित ने अपर पुलिस महानिदेशक से अनुरोध किया है कि उनके प्लॉट नंबर 3 और 4 को कब्जामुक्त कराया जाए और आरोपियों के खिलाफ कठोर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए।
इस मामले ने बरेली में भूमाफियाओं के बढ़ते हौसले और प्रशासन की लचर व्यवस्था को उजागर किया है। पीड़ित के पत्र को एक्स पर साझा किए जाने के बाद यह मामला व्यापक चर्चा का विषय बन गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई में देरी और पुलिस की कथित मिलीभगत आम नागरिकों के लिए चिंता का विषय है। पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, लेकिन पीड़ित और जनता की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष और प्रभावी कदम उठाएगा।
यह घटना बरेली में भूमाफियाओं की मनमानी और कानून के प्रति उनकी बेपरवाही को दर्शाती है। अमित अग्रवाल जैसे आम नागरिकों की सुरक्षा और उनके संपत्ति के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रशासन को तत्काल और कठोर कार्रवाई करने की आवश्यकता है। इस मामले का निपटारा न केवल पीड़ित को न्याय दिलाएगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि बरेली में कानून का शासन कितना प्रभावी है।