आशा संगिनियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने की मांग
बरेली : उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन ने 6 सूत्रीय मांगों को लेकर जिला अध्यक्ष शिववती साहू के नेतृत्व में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला अधिकारी को सौंपा।
इस दौरान जिला अध्यक्ष शिववती साहू ने कहा आशाओं द्वारा 50 से अधिक काम लिए जाते हैं ,जिनका उन्हें कोई भुगतान नहीं मिलता। जिन दो-चार कार्यों की प्रोत्साहन राशि मिलती वो पूर्ण राशि समय से नहीं मिलती है।भविष्य निधि, ग्रेड्युटी किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा, यहां तक की साप्ताहिक व बार्षिक अवकाश तथा एक दिन का भी मातृव्र अवकाश नहीं दिया जाता। ज्ञापन के माध्यम से मांग की है कि आशा और आशा संगिनी को मिलने वाली राशि को प्रोत्साहन राशि के बजाय उनके मानदेय के रूप में संबोधित किया जाय तथा उनके भुगतान को प्रणाली में अमूल चूल परिवर्तन करते हुए स्थाई भुगतान न्यूनतम वेतन के बराबर किया जाये।
45 वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश के अनुरूप संगिनी और आशा कर्मियों को राज्य स्वास्थ्य कर्मी के रूप में मान्यता देकर उन्हें न्यूनतम वेतन, मातृत्व अवकाश, कार्य स्थलों में सुरक्षा की गारन्टी हो ।
वर्ष 2017 से अब तक सेवा के दौरान दुघटनाओं में और अन्य कारणों से जान गंवाने वाली आशा व आशा संगिनी के आश्रित को 20 लाख का मुवावजा की मांग की है व अशक्त हो गई आशा व आशा संगिनियों को 10 हजार रूपये मासिक पेंशन की मांग की है । मारपीट उत्पीडन पर रोक लगाने के लिए राज्य के सभी चिकित्सालयों को सर्कुलर जारी किया जाये व इस तरह की घटनाओं में जिम्मेदार अधिकारियों पर त्वरित कार्यवाही की गारन्टी की मांग की है। सभी आशा व आशा संगिनियों को रूपये 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा व रूपये 50 लाख का जीवन बीमा कवर की मांग, सभी आशा व आशा संगिनियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किए जाने की भी मांग की है।
ज्ञापन के दौरान मंडल अध्यक्ष मंजू पटेल , सुनीता गंगवार , जयश्री गंगवार आदि आशाएं मौजूद रहीं।