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स्तनपान से होता है बच्चों को निमोनिया का खतरा कम

बरेली । सर्दी का मौसम आते ही पांच साल तक के बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है लेकिन आप अपने बच्चे को स्तनपान करा रही हैं या छह महीने तक करा चुकी हैं तो आप निश्चिंत हो सकती हैं कि आपके बच्चे को निमोनिया होने की संभावना बहुत कम है।

हर साल 12 नवंबर को दुनिया भर में विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है ताकि निमोनिया के प्रति जागरूकता बढ़े और रोकथाम व उपचार द्वारा बीमारी से निपटा जा सके।

जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षका डॉ. अलका शर्मा ने बताया कि सर्दियां शुरू होते ही बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। अक्टूबर में जिला अस्पताल स्थित बच्चा वार्ड में 10 से अधिक बच्चों में निमोनिया की पुष्टि हुई है। वहीं वार्ड के बाहर संचालित बच्चों की ओपीडी में भी अधिकतर बच्चों में बुखार और निमोनिया के लक्षण सामने आए हैं। हर साल सर्दियों में निमोनिया के मामले पूरे साल की अपेक्षा दो गुने से भी अधिक बढ़ जाते हैं। बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए जन्म के बाद पीसीवी का टीका भी लगाया जाता है। इसकी तीन डोज बच्चे को दी जाती हैं। जिन पेंरेंट्स के इन सर्दियों में बच्चा हो, वह अपने बच्चे को यह टीका जरूर लगवाएं।

छह महीने तक मां का दूध पीने वाले बच्चों में कम होता है निमोनिया का खतरा

मिलिट्री हॉस्पिटल की डाइटिशियन शुभी मेहरोत्रा ने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद एक घंटे के अंदर दूध जरूर पिलाना चाहिए और अगले छह माह तक सिर्फ दूध पिलाना चाहिए। इसके अलावा पानी, शहद का सेवन बिलकुल भी नहीं कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह पीला गाढ़ा दूध (कोलोस्ट्रम) पौष्टिक होता है इसमें विटामिन ए, प्रोटीन व एंटीबॉडी रोग प्रतिरोधक क्षमता भरपूर होती है। इस दूध से दस्त, निमोनिया, पीलिया और संक्रमण की गंभीरता कम हो जाती है। मां के दूध में एनर्जी, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन ए, सी भरपूर मात्रा में होता है। अगर सही तरीके से बच्चे को मां का दूध पिलाया जाए तो दो साल तक बच्चों में 13% मौत होने की संभावना कम हो जाती है। जो बच्चे किन्हीं भी कारणों से मां का दूध नहीं पी पाते हैं उनमें ब्लूरुबिन बढ़ने का खतरा ज्यादा होता है जिसके कारण निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।

यह होता है निमोनिया

इसमें बच्चे के फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता है। निमोनिया होने पर बच्चों के फेफड़ों पर सूजन आ जाती है। कभी-कभी इनमें पानी भी भर जाता है। निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस या फंगल इंफेक्शन की वजह से होता है। बदलते मौसम, सर्दी या चिकनपॉक्स जैसी बीमारी के बाद हो सकता है। प्रदूषण में अधिक समय तक रहने की वजह से भी यह हो सकता है।

लक्षण

निमोनिया पैदा करने वाला वायरस ज्‍यादातर चार से पांच साल की उम्र के बच्‍चों को प्रभावित करता है। गले में खारांश, खांसी, हल्‍का बुखार, नाक में कफ जमना, दस्‍त, भूख कम लगना और थकान या एनर्जी कम महसूस होना इसके लक्षणों में शामिल हैं। अगर बच्चों के नाखून में ढीलापन दिखाई दे तो तुरंत बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान

बैक्‍टीरियल निमोनिया के इलाज में एंटीबायोटिक की जरूरत होती है जबकि वायरल निमोनिया बिना किसी इलाज के कुछ दिनों के अंदर अपने आप ठीक हो जाता है। बच्‍चे को एंटीबायोटिक या अन्‍य कोई भी दवा डॉक्‍टर की सलाह पर ही दें। निमोनिया होने पर बच्‍चे को अपने आप खांसी की दवा न दें। बच्‍चे को पर्याप्‍त आराम करने दें और शरीर को हाइड्रेट रखें।

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