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बरेली पुलिस ने ट्रक चोरी के अंतरजनपदीय गिरोह का किया भंडाफोड़

बरेली, 17 अप्रैल 2025 : बरेली पुलिस ने एक संगठित और खतरनाक अपराधी गिरोह का पर्दाफाश करते हुए ट्रक चोरी, फर्जीवाड़ा और जालसाजी में लिप्त पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई 16 अप्रैल 2025 को थाना कैंट पुलिस द्वारा की गई, जिसमें उपनिरीक्षक मोहित चौधरी की भूमिका निर्णायक रही। इस ऑपरेशन में चोरी के ट्रक, फर्जी नंबर प्लेट्स, और अन्य आपराधिक सामग्री बरामद की गई, जिसने गिरोह के गहरे जाल को उजागर किया। यह कार्रवाई बरेली और आसपास के जनपदों में ट्रक चोरी की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने में मील का पत्थर साबित होगी।

उपनिरीक्षक मोहित चौधरी की अहम भूमिका

इस मामले के खुलासे में नकटिया चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक मोहित चौधरी का योगदान असाधारण रहा। उन्हें सबसे पहले इस संगठित गिरोह की गतिविधियों की गोपनीय सूचना प्राप्त हुई थी। अपनी तीक्ष्ण बुद्धि, सतर्कता और त्वरित कार्रवाई के बल पर उन्होंने मुख्य अभियुक्त शाकिर उर्फ भूरा मास्टर और सोहेल को सबसे पहले गिरफ्तार किया।

मोहित चौधरी ने ही चोरी के दो ट्रकों (UP38T4093 और UP81CT1960) को बरामद किया, जिनमें से एक के चेसिस और इंजन नंबर गिलाइंडर से नष्ट किए गए थे। उनकी इस प्रारंभिक कार्रवाई ने पूरे ऑपरेशन को गति दी और अन्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी का मार्ग प्रशस्त किया। मोहित चौधरी की सजगता, समर्पण और नेतृत्व ने पुलिस टीम को इस जटिल मामले को सुलझाने में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की।

पुलिस की रणनीतिक और समन्वित कार्रवाई

इस कार्रवाई का नेतृत्व थाना कैंट के प्रभारी निरीक्षक राजेश कुमार ने किया, जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बरेली के मार्गदर्शन, पुलिस अधीक्षक (नगर) और क्षेत्राधिकारी (नगर प्रथम) के पर्यवेक्षण का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उपनिरीक्षक मोहित चौधरी की प्रारंभिक सूचना और कार्रवाई के आधार पर पुलिस ने अभियुक्त शाकिर उर्फ भूरा मास्टर, आरिफ, सोहेल, सैफउद्दीन, और ईशाक अली को गिरफ्तार किया।

शाकिर की निशानदेही पर ट्रांसपोर्ट नगर में सोहेल की दुकान से एक और चोरी का ट्रक और फर्जी नंबर प्लेट्स (UP25ET5567, UP63AT4179) बरामद की गईं। इस ऑपरेशन में एसओजी टीम, निरीक्षक देवेंद्र सिंह धामा के नेतृत्व में, ने भी महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया। पुलिस ने लंबे समय से बरेली और आसपास के जनपदों में सक्रिय इस गिरोह की गतिविधियों पर नजर रखी थी, और यह कार्रवाई उनके सुनियोजित प्रयासों का परिणाम है।

अपराध का तरीका: संगठित और जटिल नेटवर्क

गिरोह का अपराध करने का तरीका अत्यंत सुनियोजित और जटिल था। अभियुक्तों ने खुलासा किया कि वे ट्रक मालिकों को पैसे का लालच देकर या ड्राइवरों को 10,000-20,000 रुपये की रिश्वत देकर चोरी की झूठी सूचना कोर्ट में दर्ज करवाते थे। धारा 156(3) और 173(4) के तहत फर्जी मुकदमे दर्ज करवाकर फाइनेंस कंपनियों से सांठगांठ कर क्लेम हासिल किया जाता था। चोरी के ट्रकों को या तो कबाड़ में बेच दिया जाता था या उनके इंजन और चेसिस नंबर बदलकर फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट्स लगाकर ऊंचे दामों में बेचा जाता था। यह गिरोह दोहरा मुनाफा कमाता था—एक तरफ फाइनेंस कंपनियों से क्लेम लेकर, दूसरी तरफ ट्रकों को फर्जी दस्तावेजों के साथ बेचकर।

गिरोह में प्रत्येक सदस्य की भूमिका स्पष्ट थी

▪️ईशाक अली : चोरी के ट्रकों को कटवाने और फर्जी मुकदमे दर्ज करवाकर क्लेम लेने की जिम्मेदारी।

▪️शाकिर उर्फ भूरा मास्टर और अनीसउद्दीन : आरटीओ में सेटिंग कर फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर की फाइल तैयार करना।

▪️सोहेल : अपनी दुकान पर ट्रकों के इंजन और चेसिस नंबर बदलने का काम।

आरिफ, सैफउद्दीन, और अदनान: चोरी के लिए उपयुक्त ट्रकों की तलाश करना।

▪️बाबू (किच्छा निवासी): ट्रकों के इंजन और चेसिस नंबर बदलने में विशेषज्ञता।

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पुलिस द्वारा बरामद किए गए ट्रक
बरामद सामग्री और ठोस सबूत

पुलिस ने अभियुक्तों के कब्जे से निम्नलिखित सामग्री बरामद की, जो गिरोह के अपराधों को उजागर करती है:

1. चोरी का ट्रक (UP38T4093) और उसका प्रार्थना पत्र (थाना आंवला, दिनांक 23.01.25)।

2. ट्रक (UP81CT1960), जिसके चेसिस और इंजन नंबर नष्ट किए गए थे।

3. चार फर्जी नंबर प्लेट्स: UP25ET5567, UP67AT2485, UP63AT4179, और UP25CT7022।

4. ईशाक अली के मोबाइल से व्हाट्सएप पर ट्रक चोरी से संबंधित आठ मुकदमों की जानकारी, जो धारा 156(3)/173(4) के तहत दर्ज थे। इनमें थाना फतेहगंज पूर्वी, अलीगंज, सिकंद्राराऊ (हाथरस), फरीदपुर, और अन्य थानों के मामले शामिल हैं।

फाइनेंस कंपनियों को 6 करोड़ से अधिक का नुकसान

अभियुक्तों ने खुलासा किया कि पिछले दो वर्षों में उन्होंने 50-55 ट्रक चोरी के फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए, जिसके जरिए फाइनेंस कंपनियों से औसतन 15 लाख रुपये प्रति ट्रक का क्लेम लिया गया। इस तरह, कुल मिलाकर 6 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान फाइनेंस कंपनियों को पहुंचाया गया। बरेली में पिछले दो वर्षों में दर्ज 52 मुकदमों में से 20 में अंतिम रिपोर्ट, 17 में एक्सपंज, 3 में आरोप पत्र दाखिल, और 12 मुकदमे अभी विवेचनाधीन हैं। अभियुक्तों ने यह भी बताया कि इनके अलावा 45-50 अन्य मुकदमे विभिन्न थानों में दर्ज करवाए गए हैं, जो इस गिरोह के व्यापक नेटवर्क को दर्शाता है।

गिरफ्तार अभियुक्तों का आपराधिक इतिहास

गिरफ्तार अभियुक्तों का आपराधिक रिकॉर्ड लंबा और गंभीर है:

▪️शाकिर उर्फ भूरा मास्टर : पांच मुकदमे, जिनमें चोरी, जालसाजी, और धारा 379/411 आईपीसी शामिल हैं।

▪️आरिफ : तीन मुकदमे, जिनमें चोरी और मारपीट के मामले हैं।

▪️सोहेल : दो मुकदमे, जिनमें चोरी और आपराधिक षड्यंत्र शामिल हैं।

▪️सैफउद्दीन : एक मुकदमा, इस मामले से संबंधित।

▪️ईशाक अली : तीन मुकदमे, जिनमें चोरी, जालसाजी, और गंभीर अपराध जैसे धारा 376 आईपीसी शामिल हैं।

पुलिस की सराहनीय उपलब्धि

इस ऑपरेशन में उपनिरीक्षक मोहित चौधरी, प्रभारी निरीक्षक राजेश कुमार, और एसओजी निरीक्षक देवेंद्र सिंह धामा की भूमिका असाधारण रही। विशेष रूप से मोहित चौधरी की प्रारंभिक सूचना, त्वरित कार्रवाई, और दो मुख्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी ने इस मामले को सुलझाने में निर्णायक योगदान दिया। गिरफ्तारी और बरामदगी के दौरान सर्वोच्च न्यायालय और मानवाधिकार आयोग के दिशा-निर्देशों का पूर्ण पालन किया गया। पुलिस टीम की एकजुटता, समन्वय, और साहस ने इस जटिल और संगठित गिरोह को ध्वस्त करने में अभूतपूर्व सफलता हासिल की।

आगे की कार्रवाई और गहन जांच

गिरफ्तार अभियुक्तों को समय पर माननीय न्यायालय में पेश किया जाएगा। पुलिस अन्य संलिप्त अभियुक्तों, जैसे बाबू, अदनान, और अनीसउद्दीन, की तलाश में जुटी है। साथ ही, फर्जीवाड़े में शामिल फाइनेंस कंपनियों के कर्मचारियों और आरटीओ अधिकारियों की भूमिका की गहन जांच शुरू की गई है। इस मामले में और खुलासे होने की संभावना है, क्योंकि गिरोह का नेटवर्क कई जनपदों तक फैला हुआ प्रतीत होता है। पुलिस इस मामले को और गहराई से जांच रही है ताकि इस अपराधी नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचा जा सके।

पुलिस की सजगता और समर्पण का प्रतीक

उपनिरीक्षक मोहित चौधरी की सूझबूझ, त्वरित कार्रवाई, और नेतृत्व ने इस संगठित अपराधी गिरोह का पर्दाफाश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बरेली पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल फाइनेंस कंपनियों को 6 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान से बचाया, बल्कि आम जनता के बीच सुरक्षा और विश्वास का संदेश भी दिया। यह ऑपरेशन पुलिस की सजगता, समर्पण, और अपराध के खिलाफ कठोर रुख का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस सफलता से बरेली पुलिस का मनोबल और ऊंचा हुआ है, और यह अन्य अपराधी गिरोहों के लिए एक सख्त चेतावनी है।

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