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6 दिसंबर भारत के मुसलमानों के लिए दुख का दिन, बाबरी मस्जिद के बदले मिली जमीन पर जल्द मस्जिद निर्माण की उठी मांग

बरेली।ऑल इंडिया मुस्लिम जमात की ओर से बाबरी मस्जिद की 33वीं बरसी पर जारी बयान में एक बार फिर बाबरी मस्जिद के बदले मिली जमीन पर मस्जिद निर्माण को लेकर नाराजगी जाहिर की गई। जमात के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए और सरकार से मांग की कि मस्जिद निर्माण की जिम्मेदारी किसी सक्षम संस्था को सौंपी जाए, ताकि जल्द निर्माण कार्य शुरू हो सके।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने 6 दिसंबर 1992 की घटना को याद करते हुए कहा कि यह दिन भारत के मुसलमानों के लिए बेहद दुखद है। आज ही के दिन चार सौ साल पुरानी ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद को असामाजिक तत्वों द्वारा गिराया गया था, जिसकी पीड़ा आज भी मुस्लिम समाज के दिलों में ताजा है। जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अयोध्या में मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है, लेकिन बाबरी मस्जिद के बदले सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी गई पांच एकड़ जमीन पर अब तक मस्जिद नहीं बन सकी है।

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ को सौंपते हुए स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि यहां मस्जिद का निर्माण कराया जाए, लेकिन बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के चलते अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। मौलाना रजवी ने इसे वक्फ बोर्ड की बहुत बड़ी नाकामी करार देते हुए कहा कि जिस तेजी से मंदिर का निर्माण हुआ, उसी गंभीरता के साथ मस्जिद निर्माण की दिशा में भी काम होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मौलाना मुजाहिद हुसैन कादरी ने दो टूक कहा कि यदि वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी मस्जिद बनाना नहीं चाहते हैं तो उन्हें खुलकर अपनी असमर्थता स्वीकार करनी चाहिए और सरकार को इसकी जानकारी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बोर्ड अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता और समाज अब और इंतजार करने को तैयार नहीं है।

मुफ्ती फारूक मिस्बाही ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यदि बोर्ड का यही गैर-जिम्मेदाराना रवैया बना रहा तो कहीं ऐसा न हो कि वह जमीन भी हाथ से निकल जाए। उन्होंने याद दिलाया कि हाल ही में बोर्ड ने मीडिया में मस्जिद का नक्शा भी जारी किया था और फंडिंग को लेकर देशभर में प्रचार किया गया था, लेकिन बड़े-बड़े दावों के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई काम शुरू नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि यदि बोर्ड के जिम्मेदारों में वास्तव में मस्जिद निर्माण को लेकर रुचि नहीं है तो उन्हें नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

बैठक में मौजूद मुस्लिम जमात के कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में सरकार से मांग की कि मस्जिद निर्माण की जिम्मेदारी सुन्नी वक्फ बोर्ड से हटाकर किसी ऐसे निकाय को दी जाए, जो इस कार्य को गंभीरता और पारदर्शिता के साथ पूरा कर सके। बैठक में नसीर अहमद नूरी, तहसीन रजा खान, फैसल इस्लाम, हाजी नाजिम बेग, आरिफ अंसारी, अब्दुल हसीब खान, जोहैब अंसारी, हाजी तारिक रजा, रोमन अंसारी, साहिल रजा, ओवैस मियां कादरी सहित कई प्रमुख लोग मौजूद रहे। सभी ने एकजुट होकर यह संकल्प दोहराया कि बाबरी मस्जिद के बदले नई मस्जिद का निर्माण जल्द से जल्द शुरू होना चाहिए।

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