खानकाहे Niyaziya में उर्स के आखिरी दिन हजारों की संख्या में पहुचे जायरीन
बरेली। विश्व विख़्यात मशहूर व मारूफ़ गंगा-जमुनी तहज़ीब रख़ने वाली ख़ानक़ाहे Niyaziya के बानी हज़रत शाह नियाज़ी अहमद साहब क़िबला (रह.) के पाँचवे जानशीन फख़रे आशिकैन फख़रे माशूक़ीन क़िबला हज़रत शाह मो.हसनैन उर्फ हसनी मियाँ क़ादरी चिश्ती निज़ामी नियाज़ी के उर्स के आखि़री दिन बड़ी शान-ओ-शौकत के साथ ख़ानक़ाहे Niyaziya, बरेली के सज्जादानशीन हज़रत शाह अलहाज महेंदी मियाँ क़ादरी चिश्ती निज़ामी नियाज़ी की सरपरस्ती में मनाया गया।
उर्स के आखि़री दिन बाद नमाज़-ए-फज्र कुरअ़ान ख़्वानी हुई और मज़ारात पर जायरीनों ने हाज़िरी दी। दिन भर लोगों का बड़ी तादाद में ख़ानक़ाहे Niyaziya में आना-जाना लगा रहा, उर्स में उलेमा मशाइक सभी मज़हब के धर्म गुरू, फनकारों का जमबड़ा है।जो काबिल-ए-दीद है। वहीं अजमेर शरीफ के गद्दीनशीन, महबूब-ए-इलाही हज़रत निज़ामउद्दीन औलिया के गद्दीनशीन, हज़रत ख़्वाजा बख़्तियार काक़ी महरोली, दिल्ली के गद्दीनशीन और दीग़र दरग़ाहों व ख़ानका़हों के सज्जादग़ान तशरीफ ला चुके है। ख़ानक़ाहे Niyaziya एक ऐसा मरकज़ है जहाँ इंसान को दिली सुकून का एहसास होता है। सूफियाना रिवायात यहाँ की ऐसी है जो रूहानी, जिस्मानी व ज़हनी सुकून हर किसी को मिलता है। ख़ानक़ाहे Niyaziya की एक रिवायात यह भी है जो आपस में भाईचारा, मोहब्बत का पैग़ाम देती है। बाद नमाज़ा-ए-अस्र मीलाद शरीफ का आग़ाज़ हुआ, बाद नमाज़-ए-मग़रिब ख़ास दस्तरख़्वान का इंका़द हुआ जिसमें शहर भर के मोहअ़ज़िज़ मौजूद रहे। बाद नमाज़ा-ए-इशा महफिल से सिमां का आग़ाज़ हुआ और रात्रि 02ः10 बजे कुल शरीफ़ की रस्म के अदा की गई बाद कुल शरीफ के रंग और कड़का पढ़ा गया बारी-बारी मज़ारात पर हाज़िरी दी और मुल्क़ व क़ौम के लिए दुअ़ा की गई। तमाम मुरीदीन ख़ानक़ाहे Niyaziya के सज्जादानशीन से रवानग़ी की दुआ लेते हुए सब अपने-अपने घरों को वापस हुए।
उर्स के आखि़री दिन ख़ानक़ाहे Niyaziya पर एक डॉक्यूमेंट्री जिसमें ख़ानक़ाहे Niyaziya की रिवायात व ख़सूसीयात मज़हब व मिल्लत और गंगा-जमुनी तहज़ीब जो ख़ानक़ाहे Niyaziya में देखने को मिलती है। वह इस डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग में कवरेज की गई।