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बांझपन की समस्या में प्रमुख हो सकती है गर्भाशय में होने वाली टीबी

बरेली । शादी के क‌ई सालों बाद भी मां न बन पाने के दुख में महिलाएं इलाज पर लाखों रुपये खर्च कर देती हैं लेकिन उन्हें अपने बांझपन के कारण का पता नहीं चल पाता है। दरअसल गर्भाशय में होने वाली टीबी भी बांझपन की प्रमुख समस्या हो सकती है। इसका इलाज हो जाने पर आप मां बन सकती हैं।

जिला अस्पताल कि स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शैव्या बताती हैं कि गर्भाशय में होने वाली टीबी को कंफर्म करने के लिए किसी तरह का टेस्ट या परीक्षण नहीं होता है। कुछ लक्षणों के आधार पर ही महिलाओं को टीबी सेंटर में इलाज के लिए रेफर किया जाता है। अगर किसी बांझ महिला का इलाज किया जाता है तो उसकी ओवरी, जननांग और सर्विक्स की ठीक से जांच की जाती है। गर्भाशय में होने वाली टीबी को जेनाइटल या पेल्विक टीबी भी कहते हैं। फैलोपियन ट्यूब में टीबी के बैक्टीरिया होने से वह ब्लॉक हो जाती है। इसके अलावा महिला के गर्भाशय में एंडोमेट्रियल बायोप्सी और लैप्रोस्कोपी का उपयोग गर्भाशय में होने वाली समस्या को जांचने के लिए किया जाता है। अगर समय रहते गर्भाशय में होने वाली टीबी का इलाज करा लिया जाए तो महिलाओं में इस कारण से होने वाली बांझपन की समस्या को दूर किया जा सकता है।

यह लक्षण दिखें तो हो जाएं सतर्क :

पेट के निचले हिस्से में गंभीर दर्द, अनियमित मासिक धर्म, योनि स्त्राव होने पर तुरंत स़्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान :

अपने कमरे में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। कमरे में रोशनी और शु़द्ध हवा का ध्यान रखें। खानपान शुद्ध व पौष्टिक आहार का सेवन करें।

टीबी के इलाज के लिए मुख्य चार प्रकार की दवाएं दी जाती हैं ये सभी दवाएँ गर्भावस्था में देना सुरक्षित है। जो कि 6 महीने तक चलती हैं। यह सभी दवाई गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित होती हैं। जैसे ही जांच के बाद पता चले कि टीबी है तो डॉक्टर की सलाह से इन दवाओं को शुरू कर देना चाहिए।

 डॉ केके सिंह , क्षय रोग अधिकारी 

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