CrimeBareillyLatestUttar Pradesh

बिल्कीस मामले में रिहा किए कैदियों को दोबारा गिरफ्तारी की मांग

बरेली । जिला कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग द्वारा बिल्कीस मामले में दोषियों के रिहा होने पर उन्हें गिरफ्तारी किए जाने की मांग की है। विदित होगा कि गुजरात सरकार ने 2002 में हुए बिल्किस बानो मामला जिसमें दंगाइयों ने उनके साथ सामूहिक बलात्कार, उनके अजन्मे बच्चे की हत्या और 14 अन्य लोगों की हत्या कर दी थी, में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे 11 दोषियों को अपनी रिहाई नीति के तहत छोड़ दिया है। इस मामले में एक दोषी राधेश्याम शाह ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिहाई की अपील की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला राज्य सरकार के विवेक पर छोड़ दिया था। जिसके बाद ये 11 दोषी रिहा हुए हैं।राज्य सरकार का निर्णय 5 बिंदुओं के आधार पर मनमाना और असंगत है।

हिंदूवादी संगठनों ने दोषियों की रिहाई पर फूल माला पहनाकर किया उनका स्वागत

राज्य सरकार का यह तर्क कि ‘अपराध की प्रकृति’ के आधार पर इन्हें छोड़ गया है अपराध की गंभीरता को झुठलाने का आपराधिक प्रयास है। जबकि घटना जघन्यतम की श्रेणि में आता है। राज्य सरकार का दूसरा तर्क है कि इन्हें इनके अच्छे व्यवहार के आधार पर छोड़ा गया है न्यायसंगत नहीं है। क्योंकि जेल से बाहर आते ही उस जघन्य हत्याकांड में शामिल हिंदुत्ववादी संगठनों ने इन्हें फूल माला पहना कर स्वागत किया। जिससे स्पष्ट होता है कि दोषियों को अपने अपराध पर कोई ग्लानि नहीं है और वे आगे भी ऐसे जघन्य अपराध करने के लिए मानसिक तौर पर तैयार हैं।

इन दोषियों को छोड़ना संविधान का उल्लंघन

इन जघन्य अपराधियों का छोड़ा जाना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। जिसकी हर स्थिति में रक्षा करना न्यायतंत्र और राज्य की ज़िम्मेदारी है। दोषियों की रिहाई संविधान की भावना का भी उल्लंघन है क्योंकि संविधान सिर्फ़ शब्दों से संचालित नहीं हो सकता, उसे कार्यनव्यन में भी अपनी भावार्थ में दिखना चाहिए।विदित है कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात से मुंबई हाई कोर्ट में इसीलिए स्थांनान्त्रित किया था कि पीड़िता को उसके राज्य में न्याय मिलने की उम्मीद नहीं थी।न्याय के संरक्षक होने के कारण इन दोषियों की रिहाई के राज्य सरकार के आदेश को निरस्त कर न्यायपालिका में लोगों के भरोसे को पुनर्बहाल करें।

कब हुई थी ये घटना ?

गौरतलब है कि तीन मार्च 2002 को गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिल्कीस बानो के परिवार पर हमला किया था। अभियोजन के अनुसार, ‘‘बिल्कीस उस समय पांच महीने की गर्भवती थीं. उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. इतना ह। नहीं, उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी ’’ अदालत को बताया गया था कि छह अन्य सदस्य मौके से फरार हो गये थे। इस मामले के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था।

इस अवसर पर पूर्व जिलाध्यक्ष रामदेव पांडेय, संगीता कौशल, रमेश श्रीवास्तव,मुन्ना कुरैशी,ज़किर खान,विजय मौर्य, आसिफ अली,शहरोज़ बुखारी,परवेज़ अली,आसिफ खान,इकबाल खान समेत अनोको लोग मौजूद रहे।

About Author

Related Articles

error: Content is protected !!