ReligionBareillyLatestUttar Pradesh

माह-ए-मुहर्रम के चाँद के साथ होगा 1444 हिजरी का आगाज़

बरेली। इस्लामी साल का पहला माह मुहर्रम है। माहे मुहर्रम का चाँद 29 जुलाई को देखा जाएगा। अगर आसमान पर चाँद नज़र आ जाता है तो 30 जुलाई से नही फिर 31 जुलाई से 1444 हिजरी का आगाज़ (शुरुआत) होगा। इसी के साथ नए इस्लामी साल की शुरुआत होगी। यौम-ए-आशूरा 8 या 9 अगस्त को पड़ेगा। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि पहली मुहर्रम से ही शहीदे आज़म हज़रत इमाम हुसैन की याद में कुरानख्वानी,महफ़िल,जलसों व लंगर का दौर शुरू हो जाएगा।

दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मिया) ने बताया कि माहे मुहर्रम में पैंगबर-ए-इस्लाम के प्यारे नवासे हज़रत इमाम हुसैन व उनके 72 जानिसार साथियों को कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया गया था। मुहर्रम का महीना इन्हीं शहीदों की याद ताज़ा करने के लिए जाना जाता है। माहे मुहर्रम मज़हब-ए-इस्लाम के मुबारक महीनों में से एक है। मुहर्रम के दसों दिन ख़ुसूसन यौमे आशूरा के दिन महफिल,मिलाद,लंगर,कर्बला के शहीदों को याद करना जायज़ ही नही बल्कि बाइसे बरकत है।

शरई दायरे में रहकर इन दिनों में कर्बला के शहीदों को खिराज़ पेश करने के लिए रोज़ा रखे,अल्लाह की इबादत के साथ भलाई के खूब काम करे,गरीबों का खास ख्याल रखे। पानी व शर्बत की सबील लगाए। भूखे को खाना खिलाए। कुछ लोग लंगर को लुटाते है इससे रिज़्क़ की बर्बादी होती है इसलिए लंगर को हरगिज़ न लुटाए बल्कि बैठ कर खिलाए। कोई गरीब बीमार हो तो उसका इलाज करा दें। किसी तालिबे इल्म (छात्र) को किताबो की जरूरत हो उन्हें मुहैय्या (उपलब्ध) करा दें। अपने आसपास छायादार व फलदार पेड़-पौधे लगाए। दोनों मज़हब के लोग अमन-ओ-अमान कायम रखें।

About Author

Related Articles

error: Content is protected !!