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सपा को छोड़ने में ही मुसलमानों की भलाई – मौलाना शहाबुद्दीन

▪️मौलाना शहाबुद्दीन का मशवरा जितनी जल्दी हो सके समाजवादी पार्टी के बड़े लीडर छोड़ दे समाजवादी पार्टी को इसी में उनकी भलाई

बरेली – उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से राज्य के मुसलमान मायूस हैं ,इन तमाम उपायों के बावजूद धर्मनिरपेक्ष दल, कही जाने वाली फिराकापरस्त ताकतों को सत्ता से हटाने में नाकाम रहे हैं। और तब से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि मुसलमानों का भविष्य क्या होगा ? मुसलमानों में एक तरह का डर और निराशा है। लेकिन परिस्थितियां कैसी भी हों, मुसलमानों को निराश या भयभीत होने की जरूरत नहीं है। कोई समस्या है तो उसका समाधान भी है। तो यह भविष्य के लिए एक सबक है। हमें एक नई रणनीति के साथ आने की जरूरत है। यह बात ऑल इंडिया तंजीम उलेमा ए इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी ने कही हैं।

मौलाना ने कहा कि भविष्य के बारे में अच्छी उम्मीदें रखना और हमेशा आशावादी रहना ज़िन्दगी का एक विशेष गुण है जो व्यक्ति को खुश और आनंदित महसूस कराता है और वह अपने भविष्य को नकारात्मक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि सकारात्मक दृष्टिकोण से देखता है। हर चीज को सकारात्मक रूप से देखता है और नकारात्मक सोच से बचता है। और आज की स्थिति में मुसलमानों को भी यही रवैया अपनाने की जरूरत है। यह आशावादी किरण और विश्वास गुण मनुष्य को वर्तमान कठिनाइयों और कठिनाइयों को सहन करने में सक्षम बनाता है और उसमें प्रकाश पैदा करता है जिसमें वह भविष्य को आज से बेहतर देखता है, कि आज का दुख और पीड़ा और आज का अंधेरा गायब हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि आज जो स्थिति पैदा हुई है, उससे कई मुस्लिम भाई निराश नजर आ रहे हैं, यहां तक ​​कि अच्छे लोग और धार्मिक समुदाय के लोग भी कह रहे हैं कि मुसलमानों का भविष्य बहुत अंधकारमय है, जबकि हमारे लिए यह सोचना उचित नहीं है, बल्कि हमें यह विश्लेषण करने की जरूरत है कि हम किसके साथ खड़े हैं और कहां जा रहे हैं।

जिस तरह से मुसलमानों ने आजादी के बाद से देश भर में धर्मनिरपेक्ष वैचारिक दलों को धो डाला है। उन्हें आज तक कुछ नहीं मिला है। इसके विपरीत, कई दल अक्सर अपनी हार के ठीकरे अपने सिर पर फोड़ते हैं। जैसा कि बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने हाल ही में अनिश्चित शब्दों में कहा है कि मुसलमानों ने हमें वोट नहीं दिया है। जबकि वह सच में कहना चाहती हैं कि हम मुसलमानों की वजह से सीट पाने में सफल नहीं हुए हैं।

यादवों को नहीं नहीं दिया सपा को वोट

समाजवादी पार्टी, जिसे मुसलमानों ने सामूहिक रूप से वोट दिया है। वह भी सत्ता खो चुकी है। समाजवादी पार्टी ने अपनी सीटों में इजाफा किया है, लेकिन उसे इतनी सीटें नहीं मिल पाई हैं। जिससे उनकी सरकार बन सके। इसका मुख्य कारण यह है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने स्वयं के समुदाय को पूरी तरह से एकीकृत नहीं कर पाए हैं। इसके बावजूद भी मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी को मिला, लेकिन कई जगहों पर अखिलेश यादव के समुदाय के लोगों ने समाजवादी पार्टी को वोट नहीं दिया, जिसका सबूत है कि यादव बाहुल्य क्षेत्रों में बीजेपी ने 43 सीटों पर जीत हासिल की है।

मुसलमानों को बनाना चाहिए नई रणनीति

मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि मुसलमानों को अब धर्मनिरपेक्षता का ठेका लेना बंद कर देना चाहिए। और अपनी राजनीति और अपनी भागीदारी के बारे में नये सिरे से बात करें। जब तक कि वे किसी एक खास पार्टी के सहारे जीते हैं, उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। बल्कि मुसलमानों को अब नई रणनीति बनानी चाहिए।

मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में जमीन आसमान का फर्क

मौलाना ने मुसलमानों को मशवरा दिया है कि अब नए हालात हैं और नए तकाज़े है इसके पेशेनज़र समाजवादी पार्टी के अलावा दूसरे विकल्पों पर विचार करना चाहिए और किसी भी पार्टी के खिलाफ मुखर होकर दुश्मनी मोल नहीं लेनी चाहिए। मैंने चुनाव के दरमियान मुसलमानों को अगाह करते हुए बताया था कि अखिलेश यादव मुसलमानों के हितैषी नहीं है, इन्होंने हर जगह मुस्लिम बडे़ चेहरो को पीछे रखने की कोशिश की और अकेले चुनाव प्रचार करते रहे, मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में ज़मीन और आसमान का फ़र्क है इसलिये मुसलमान विकल्पों पर विचार विमर्श करें।

जितनी जल्दी हो सपा के बड़े लीडर सपा को छोड़ दें

मौलाना ने आगे कहा की चुनाव के दरमियान मेरे द्वारा कहीं गई बातों का समाजवादी पार्टी के नेताओं ने विरोध किया था मगर अब मेरी ही बातें उनको अच्छी लगने लगी है उदाहरण के तौर पर आज़म खान और डॉ शफीक़ुर रहमान बर्क़ के द्वारा दिए गए बयानों से ज़ाहिर है। मेरा समाजवादी पार्टी से वबस्ता मुसलमानों या सपा के वरिष्ठ लीडरों को मेरा मशवरा है कि जितनी जल्दी मुमकिन हो समाजवादी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दें इसी में उनकी भलाई है।

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