जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के 105 साल होने पर मनाया गया जश्न, जरूरतमंदों को बांटे गए कंबल
बरेली : दरगाह आला हजरत के संगठन जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के 105 साल होने पर दरगाह ताजुश्शरिया पर बड़ी शान-ओ-शौकत के साथ जश्न मनाया गया।
असजद मियां की सरपरस्ती में अदा हुईं रस्म
दरगाह ताजुश्शरिया के सज्जादाशीन एवं काजी-ए-हिन्दुस्तान मुफ्ती मोहम्मद असजद रज़ा खाँ कादरी (असजद मियां) की सरपरस्ती और जमात रज़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मिया सदारत व जमात रज़ा के राष्ट्रीय महासचिव फरमान मियां की निगरानी में जश्न की रस्में अदा की गई।
4:30 बजे हुआ जश्न का आगाज़
जश्न का आगाज असर की नमाज़ बाद शाम 4:30 बजे मौलाना शम्स रज़ा ने कुरान शरीफ़ की तिलावत से किया। सलीम रजा ने नात-ओ-मनकबत का नज़राना पेश किया।
17 दिसम्बर 1920 कायम हुई थी जमात
जमात रज़ा मुख्य कार्यालय के सदर मौलाना सैय्यद अजीमुद्दीन अज़हरी ने बताया आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ क़ादरी फाजिले बरेलवी ने 7 रबीउल सानी 1339 हिजरी मुताबिक 17 दिसम्बर 1920 ईसवी को मुसलमानों के इमान व अकीदे की हिफाज़त और समाजी, माली व अख्लाकी पस्ती से प्रभावित उम्मते मुस्लिम की नुसरत व हिमायत के लिए जमात को कायम फ़रमाया।
ये हैं जमात के काम
जमात का काम उलमा-ए-अहले सुन्नत खासकर इमाम अहमद रज़ा खान क़ादरी फाजिले बरेलवी की किताबों को आम करना। मुसलमानों की मज़हबी, समाजी, रोज़गार व अख्लाकी कमियों को दूर करने के लिए मज़बूत क़दम उठाना। अहले इस्लाम खासकर सिलसिला-ए-आलिया कादरिया रजविया से जुड़े हुए लोगों के दरमियान इत्तेफाक, इत्तेहाद व मोहब्बत का माहोल कायम करना है।
जमात के 105 साल के दौर में बड़ी बड़ी हस्तियों ने जमात से जुडकर शरियत पर काम किया। जमात के बैसे तो बहुत महत्वपूर्ण कारनामें है। जिनकी उस वक़्त अवामे अहले सुन्नत को सख्त ज़रूरत थी।
अब तक इन-इन हस्तियों ने संभाली जमात की कमान
जमात रजा के प्रवक्ता समरान खान ने बताया जमात रज़ा को कायम सरकार आला हजरत ने फरमाया। आला हजरत के पर्दा (विसाल) करने के बाद उनके साहिबजादे (पुत्र) हामिद रज़ा खाँ और मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द ने कायम रखा। इसके बाद ताजुश्शरिया के वालिद इब्राहीम रज़ा खाँ ने जमात की कमान सम्बाली। फिर उनके फर्दा (विसाल) के बाद ताजुश्शरिया ने जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा के बैनर तले आला हजरत के मिशन पर काम किया।
देश मे 165 से अधिक शाखाएं है जमात की
उन्होने अपनी जिंदीगी में काजी-ए-हिन्दुस्तान को जमात की जिम्मेदारी दे दी। देश भर में जमात रजा की 165 से अधिक शाखाएँ हैं। जिनकी देखरेख जमात रजा के मुख्य कार्यालय बरेली से होती है।
फातिहाख्वानी के बाद मौलाना सैय्यद अजीमुद्दीन अज़हरी ने खुसूसी दुआ की। अंत में जमात रजा की ओर से जरूरतमंद लोगों कंबल वितरण किया गया।
जमात रजा बरेली की शाखाओं में चांदपुर, मवई, फतेहगंज पूर्वी, भगवंतपुर, बीसलपुर, सैथल आदि का सयोग रहा।
इस मौके पर समरान खान, मोईन खान, अब्दुल्लाह रज़ा खान, मोईन अख्तर, इरफान हुसैन, मुहम्मद अहमद, अब्दुल मुसव्विर, आरिफ रज़ा, अहमर हुसैन, मुहम्मद अहसान, जावेद आलम, महबूब रज़ा, नाजिर हुसैन, तसलीम रज़ा, रियाज़ अहमद, आले मुस्तफा आदि लोग मौजूद रहें।