सहकारी बैंक में 1.31 करोड़ का घोटाला उजागर: दो शाखा प्रबंधक समेत चार पर एफआईआर
रिपोर्ट - सैयद मारूफ अली

बरेली : जिले की फरीदपुर शाखा में सहकारी बैंक से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां किसानों के “प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि” खातों में फर्जीवाड़ा कर 1.31 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की गई। जांच में बैंक के दो शाखा प्रबंधक सहित चार लोगों की संलिप्तता उजागर हुई है, जिनके खिलाफ थाना फरीदपुर में एफआईआर दर्ज की गई है। यह मामला एक किसान की शिकायत के बाद सामने आया, जिसने उच्च अधिकारियों से इसकी शिकायत की थी।
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प्रधानमंत्री किसान निधि के खातों में की गई हेराफेरी
शाहजहांपुर निवासी एक किसान ने शिकायत की थी कि उसकी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि बरेली के फरीदपुर स्थित सहकारी बैंक शाखा में गलत तरीके से स्थानांतरित हो गई है। जब उसने इस संबंध में शाखा अधिकारियों से बात की, तो न कोई समाधान दिया गया और न ही संतोषजनक उत्तर। किसान ने यह मामला जिला सहकारी बैंक के उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाया।
महाप्रबंधक ने की औचक जांच, खुली पोल
शिकायत के आधार पर जिला सहकारी बैंक बरेली के महाप्रबंधक सर्वेश सिंह चौहान ने 16 मई को फरीदपुर शाखा का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें 21 संदिग्ध खाते मिले जिनमें पीएम किसान निधि की रकम ट्रांसफर हुई थी। यह रकम बाद में फर्जी तरीके से निकाल ली गई।
23 मई को गठित जांच टीम ने खोली गड़बड़ी की परतें
घोटाले की गहराई को देखते हुए 23 मई को एक विशेष जांच टीम गठित की गई। टीम ने विस्तृत जांच के बाद पाया कि कुल 1.31 करोड़ रुपये का गबन किया गया। यह धनराशि किसानों के नाम पर बनाए गए फर्जी खातों में डाली गई और फिर निकासी कर ली गई।
इन अधिकारियों पर दर्ज हुआ मुकदमा
जांच के बाद शाखा प्रबंधक राजीव मिश्रा, पूर्व शाखा प्रबंधक चंद्र प्रकाश, सहायक पंडित संगीता सिंह और एक अज्ञात व्यक्ति को आरोपी बनाया गया। इन सभी पर सरकारी धन का गबन करने, फर्जीवाड़ा करने और किसानों के नाम पर धोखाधड़ी करने का आरोप है। फरीदपुर थाने में चारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
महाप्रबंधक बोले- आरोपियों पर सख्त कार्रवाई तय
महाप्रबंधक सर्वेश सिंह चौहान ने मीडिया को बताया कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि संबंधित अधिकारी इस धोखाधड़ी में लिप्त हैं। पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए शाखा का संपूर्ण रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है और विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह केवल आर्थिक गड़बड़ी नहीं बल्कि किसानों के अधिकारों का सीधा हनन है।
घोटाले से किसान आक्रोशित, बैंक की साख पर सवाल
इस घोटाले के उजागर होने के बाद क्षेत्र के किसान आक्रोशित हैं। उन्हें लगता है कि अगर समय रहते कार्रवाई न होती, तो और भी बड़े स्तर पर हेराफेरी हो सकती थी। साथ ही, सहकारी बैंक की साख पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
यह मामला केवल एक घोटाले की कहानी नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि किस तरह सरकारी योजनाओं का लाभार्थियों तक पहुंचने से पहले ही दुरुपयोग हो रहा है। अब देखना यह होगा कि दोषियों को कितनी जल्दी और सख्त सजा मिलती है, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।